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- घंटीधारी ऊंट
रमाशंकर त्रिपाठी एक बार की बात हैं कि एक गांव में एक जुलाहा रहता था। वह बहुत गरीब था। उसकी शादी बचपन में ही हो गई ती। बीवी आने के बाद घर का खर्चा बढना था। यही चिन्ता उसे खाए जाती। फिर गांव में अकाल भी पडा। लोग कंगाल हो गए। जुलाहे की आय एकदम खत्म हो गई। उसके पास शहर जाने के सिवा और कोई चारा न रहा। शहर में उसने कुछ महीने छोटे-मोटे काम किए। थोडा-सा पैसा अंटी में आ गया और गांव से खबर आने पर कि अकाल समाप्त हो गया हैं, वह गांव की ओर चल पडा। रास्ते में उसे एक जगह सडक किनारे एक ऊंटनी नजर आई। ऊटंनी बीमार नजर आ रही थी और वह गर्भवती थी। उसे ऊंटनी पर दया आ गई। वह उसे अपने साथ अपने घर ले आया। घर में ऊंटनी को ठीक चारा व घास मिलने लगी तो वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई और समय आने पर उसने एक स्वस्थ ऊंट बच्चे को जन्म दिया। ऊंट बच्चा उसके लिए बहुत भाग्यशाली साबित हुआ। कुछ दिनों बाद ही एक कलाकार गांव के जीवन पर चित्र बनाने उसी गांव में आया। पेंटिंग के ब्रुश बनाने के लिए वह जुलाहे के घर आकर ऊंट के बच्चे की दुम के बाल ले जाता। लगभग दो सप्ताह गांव में रहने के बाद चित्र बनाकर कलाकार चला गया। इधर ऊंटनी खूब दूध देने लगी तो जुलाहा उसे बेचने लगा। एक दिन वह कलाकार गांव लौटा और जुलाहे को काफी सारे पैसे दे गया, क्योंकि कलाकार ने उन चित्रों से बहुत पुरस्कार जीते थे और उसके चित्र अच्छी कीमतों में बिके थे। जुलाहा उस ऊंट बच्चे को अपना भाग्य का सितारा मानने लगा। कलाकार से मिली राशी के कुछ पैसों से उसने ऊंट के गले के लिए सुंदर-सी घंटी खरीदी और पहना दी। इस प्रकार जुलाहे के दिन फिर गए। वह अपनी दुल्हन को भी एक दिन गौना करके ले आया। ऊंटों के जीवन में आने से जुलाहे के जीवन में जो सुख आया, उससे जुलाहे के दिल में इच्छा हुई कि जुलाहे का धंधा छोड क्यों न वह ऊंटों का व्यापारी ही बन जाए। उसकी पत्नी भी उससे पूरी तरह सहमत हुई। अब तक वह भी गर्भवती हो गई थी और अपने सुख के लिए ऊंटनी व ऊंट बच्चे की आभारी थी। जुलाहे ने कुछ ऊंट खरीद लिए। उसका ऊंटों का व्यापार चल निकला। अब उस जुलाहे के पास ऊंटों की एक बडी टोली हर समय रहती। उन्हें चरने के लिए दिन को छोड दिया जाता। ऊंट बच्चा जो अब जवान हो चुका था उनके साथ घंटी बजाता जाता। एक दिन घंटीधारी की तरह ही के एक युवा ऊंट ने उससे कहा “भैया! तुम हमसे दूर-दूर क्यों रहते हो?” घंटीधारी गर्व से बोला “वाह तुम एक साधारण ऊंट हो। मैं घंटीधारी मालिक का दुलारा हूं। मैं अपने से ओछे ऊंटों में शामिल होकर अपना मान नहीं खोना चाहता।” उसी क्षेत्र में वन में एक शेर रहता था। शेर एक ऊंचे पत्थर पर चढकर ऊंटों को देखता रहता था। उसे एक ऊंट और ऊंटों से अलग-थलग रहता नजर आया। जब शेर किसी जानवर के झुंड पर आक्रमण करता हैं तो किसी अलग-थलग पडे को ही चुनता हैं। घंटीधारी की आवाज के कारण यह काम भी सरल हो गया था। बिना आंखों देखे वह घंटी की आवाज पर घात लगा सकता था। दूसरे दिन जब ऊंटों का दल चरकर लौट रहा था तब घंटीधारी बाकी ऊंटों से बीस कदम पीछे चल रहा था। शेर तो घात लगाए बैठा ही था। घंटी की आवाज को निशाना बनाकर वह दौडा और उसे मारकर जंगल में खींच ले गया। ऐसे घंटीधारी के अहंकार ने उसके जीवन की घंटी बजा दी। सीखः जो स्वयं को ही सबसे श्रेष्ठ समझता हैं उसका अहंकार शीघ्र ही उसे ले डूबता हैं। ******
- कुम्हार का परिवार
देवयानी वर्मा एक गांव में एक कुम्हार रहता था, वो मिट्टी के बर्तन व खिलौने बनाता, और उसे शहर जाकर बेचा करता था। जैसे तैसे उसका गुजारा चल रहा था, एक दिन उसकी बीवी बोली कि अब यह मिट्टी के खिलौने और बर्तन बनाना बंद करो और शहर जाकर कोई नौकरी कर लो, क्योंकि इसे बनाने से हमारा गुजारा नही होता, काम करोगे तो महीने के अंत में कुछ धन आएगा। कुम्हार को भी अब ऐसा ही लगने लगा था, पर उसको मिट्टी के खिलौने बनाने का बहुत शौक था, लेकिन हालात से मजबूर था, और वो शहर जाकर नौकरी करने लगा, नौकरी करता जरूर था पर उसका मन अब भी, अपने चाक और मिट्टी के खिलौनों में ही रहता था। समय बितता गया, एक दिन शहर में जहाँ वो काम करता था,उस मालिक के घर पर उसके बच्चे का जन्मदिन था। सब महंगे महंगे तोहफे लेकर आये, कुम्हार ने सोचा क्यों न मै मिट्टी का खिलौना बनाऊ और बच्चे के लिए ले जाऊ, वैसे भी हम गरीबों का तोहफा कौन देखता है। यह सोचकर वो मिट्टी का खिलौना ले गया। जब दावत खत्म हुई तो उस मालिक के बेटे को और जो भी बच्चे वहाँ आए थे सबको वो खिलौना पंसद आया और सब जिद करने लगे कि उनको वैसा ही खिलौना चाहिए। सब एक दूसरे से पूछने लगे कि यह शानदार तोहफा लाया कौन, तब किसी ने कहा की यह तौहफा आपका नौकर लेकर आया है। सब हैरान पर बच्चों के ज़िद के लिए, मालिक ने उस कुम्हार को बुलाया और पूछा कि तुम ये खिलौना कहाँ से लेकर आये हो, इतना मंहगा तोहफा तूम कैसे लाए? कुम्हार यह बाते सुनकर हंसने लगा और बोला माफ कीजिए मालिक, यह कोई मंहगा तोहफा नही है, यह मैने खुद बनाया है, गांव में यही बनाकर मै गुजारा करता था, लेकिन उससे घर नही चलता था इसलिए आपके यहाँ नौकरी करने आया हूँ। मालिक ये सुनकर हैरान हो गया और बोला कि तुम क्या अभी यह खिलौना और बना सकते हो, बाकी बच्चों के लिए? कुम्हार खुश होकर बोला हाँ मालिक, और उसने सभी के लिए शानदार रंग बिरंगे खिलौने बनाकर दिए। यह देख मालिक ने सोचा क्यों न मैं, इन खिलौने का ही व्यापार करू और शहर में बेचूं । यह सोचकर उसने कुम्हार को खिलौने बनाने के काम पर ही लगा दिया और बदले में हर महीने अचछी तनख्वाह और रहने का घर भी दिया। यह सब पाकर कुम्हार और उसका परिवार भी बहुत खुश हो गया और कुम्हार को उसके पंसद का काम भी मिल गया । इस कहानी का मूल अर्थ यह है कि हुनर हो तो इंसान कभी भी किसी भी परिस्थिति में उस हुनर से अपना जीवन सुख से जी सकता है और जग में नाम कमा सकता है। ******
- कृष्णा बाई
अशोक गुप्ता एक गांव में कृष्णा बाई नाम की बुढ़िया रहती थी। वह भगवान श्रीकृष्ण की परमभक्त थी। वह एक झोपड़ी में रहती थी। कृष्णा बाई का वास्तविक नाम सुखिया था पर कृष्ण भक्ति के कारण इनका नाम गांव वालों ने कृष्णा बाई रख दिया। घर-घर में झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाना ही इनका काम था। कृष्णा बाई रोज फूलों का माला बनाकर दोनों समय श्री कृष्ण जी को पहनाती थी और घण्टों कान्हा से बात करती थी। गांव के लोग यहीं सोचते थे कि बुढ़िया पागल है। एक रात श्री कृष्ण जी ने अपनी भक्त कृष्णा बाई से यह कहा कि कल बहुत बड़ा भूचाल आने वाला है तुम यह गांव छोड़ कर दूसरे गांव चली जाओ। अब क्या था मालिक का आदेश था। कृष्णा बाई ने अपना सामान इकट्ठा करना शुरू किया और गांव वालों को बताया कि कल सपने में कान्हा आए थे और कहे कि बहुत प्रलय होगा पास के गाव में चली जा। अब लोग कहाँ उस बूढ़ी पागल का बात मानने वाले जो सुनता वहीं जोर जोर ठहाके लगाता। इतने में बाई ने एक बैलगाड़ी मंगाई और अपने कान्हा की मूर्ति ली और सामान की गठरी बांध कर गाड़ी में बैठ गई। और लोग उसकी मूर्खता पर हंसते रहे। बाई जाने लगी बिल्कुल अपने गांव की सीमा पार कर अगले गांव में प्रवेश करने ही वाली थी कि उसे कृष्ण की आवाज आई - अरे पगली जा अपनी झोपड़ी में से वह सुई ले आ जिससे तू माला बनाकर मुझे पहनाती है। यह सुनकर बाई बेचैन हो गई तड़प गई कि मुझसे भारी भूल कैसे हो गई अब मैं कान्हा का माला कैसे बनाऊंगी? उसने गाड़ी वाले को वहाँ रोका और बदहवास अपने झोपड़ी की तरफ भागी। गांव वाले उसके पागलपन को देखते और खूब मजाक उडाते। बाई ने झोपड़ी में तिनकों में फंसे सुई को निकाला और फिर पागलो की तरह दौडते हुए गाड़ी के पास आई। गाड़ी वाले ने कहा कि माई तू क्यों परेशान हैं कुछ नही होना। बाई ने कहा अच्छा चल अब अपने गांव की सीमा पार कर। गाड़ी वाले ने ठीक ऐसे ही किया। अरे यह क्या? जैसे ही सीमा पार हुई पूरा गांव ही धरती में समा गया। सब कुछ जलमग्न हो गया। गाड़ी वाला भी अटूट कृष्ण भक्त था। येन केन प्रकरेण भगवान ने उसकी भी रक्षा करने में कोई विलम्ब नहीं किया। इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रभु जब अपने भक्त की मात्र एक सुई तक की इतनी चिंता करते हैं तो वह भक्त की रक्षा के लिए कितना चिंतित होते होंगे। जब तक उस भक्त की एक सुई उस गांव में थी पूरा गांव बचा था। इसीलिए कहा जाता है कि भरी बदरिया पाप की बरसन लगे अंगार संत न होते जगत में जल जाता संसार। *******
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- Story | Rachnakunj
Under the story title "Different Shades of Stories," Rachnakunj publishes a diverse collection of narratives that explore various themes, genres, and emotional tones. This section highlights the richness of storytelling, offering readers a multifaceted experience of literature. Audio STORY 018 समय-प्रबंधन Final New Krishna 00:00 / 13:48 019 आदर्श सलाह Final Artist Name 00:00 / 02:32 020 निःस्वार्थ बलिदान Final Artist Name 00:00 / 04:15 021 मित्रता की परख Final Artist Name 00:00 / 02:12 022 डर के आगे जीत Final Artist Name 00:00 / 02:57 मानसिक रूप से सबल बने final Krishna 00:00 / 08:10 जीवन का एहसास Final Artist Name 00:00 / 03:30 बाज की सीख Final Artist Name 00:00 / 04:02 023 बरसात की रात Final Artist Name 00:00 / 03:23 024 मूंछ का बाल Final Artist Name 00:00 / 03:30 बड़े बदलाव के लिए final Krishna 00:00 / 06:50 प्रेरणा का स्रोत Final Artist Name 00:00 / 04:24 जीवन एक संघर्ष final Artist Name 00:00 / 03:46 जीवन की प्राथमिकताएं final Artist Name 00:00 / 04:12 अपनी असीम शक्तियों को पहचानिए Artist Name 00:00 / 07:42 असफलता से न डरें Final Krishna 00:00 / 05:52 रोज कुछ नया जीवन में उतारें Final Artist Name 00:00 / 07:41 समय का सदुपयोग करें Artist Name 00:00 / 06:46 सकारात्मक संगति में रहें Final Artist Name 00:00 / 06:30 सोच बदलो, इंडिया बदलो Final Artist Name 00:00 / 06:00 खूबसूरत Krishna 00:00 / 02:22 अपनेपन की मिठास Artist Name 00:00 / 03:34 बैल की पूँछ Artist Name 00:00 / 02:17 मुल्यांकन Artist Name 00:00 / 02:42 सच की जीत Artist Name 00:00 / 04:17 घमंडी राजा Krishna 00:00 / 05:33 पानी की बूंद Artist Name 00:00 / 04:55 कठिनाईयां Artist Name 00:00 / 01:45 माँ की ममता Artist Name 00:00 / 02:36 पनिहारिन की सीख Artist Name 00:00 / 02:29 अतिथि सत्कार Krishna 00:00 / 02:00 जीवन की सीख Artist Name 00:00 / 03:25 अनमोल हीरे Artist Name 00:00 / 05:43 मोची का लालच Artist Name 00:00 / 03:09 पुत्र की भूल final Artist Name 00:00 / 02:53 रिश्तों का महत्व Krishna 00:00 / 06:27 बंधन तोड़ो सुख से जियो Artist Name 00:00 / 03:54 आज ही क्यों नहीं Artist Name 00:00 / 05:10 रोमांटिक वॉक Artist Name 00:00 / 02:47 complete story Artist Name 00:00 / 13:54 स्वाध्याय Krishna 00:00 / 13:11 सिरफिरा हाथी Artist Name 00:00 / 06:14 अभिमान not on site Artist Name 00:00 / 03:29 मनुष्य की कीमत not on site Artist Name 00:00 / 02:52 घर का भेदी Artist Name 00:00 / 03:13 Khushi ke talash Krishna 00:00 / 03:10 Aak tha Varasur (2) Artist Name 00:00 / 12:44 हथौड़े की कशमकस Artist Name 00:00 / 02:58 गुरु की सीख Artist Name 00:00 / 07:27 जीवन की सच्ची पूंजी Artist Name 00:00 / 06:33 चावल का दाना Krishna 00:00 / 04:41 ज्ञान सूत्र 001 Artist Name 00:00 / 20:30 सफलता का रहस्य Krishna 00:00 / 06:18 कद्दू की तीर्थयात्रा Krishna 00:00 / 04:13 विक्रमादित्य का न्याय Krishna 00:00 / 05:21
- Latest | Rachnakunj
Rachnakunj features a section titled "Latest" where they publish new stories, poems, and literary works. This section is dedicated to showcasing fresh content from both established and emerging authors, keeping the literary offerings dynamic and up-to-date. Complete Collection 1 2 3 4 5 Do you want to publish your story? JUST WRITE TO rachnakunjindia@gmail.com
- Rachnakunj | Read, Listen, and Watch Stories Online
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Forum Posts (3)
- Welcome to the ForumIn General Discussion·January 24, 2024Share your thoughts. Feel free to add GIFs, videos, hashtags and more to your posts and comments. Get started by commenting below.100
- Forum rulesIn General Discussion·January 24, 2024We want everyone to get the most out of this community, so we ask that you please read and follow these guidelines: Respect each other Keep posts relevant to the forum topic No spamming000
- Introduce yourselfIn General Discussion·January 24, 2024We'd love to get to know you better. Take a moment to say hi to the community in the comments.000









