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कुम्हार का परिवार
एक गांव में एक कुम्हार रहता था, वो मिट्टी के बर्तन व खिलौने बनाता, और उसे शहर जाकर बेचा करता था। जैसे तैसे उसका गुजारा चल रहा था, एक दिन उसकी बीवी बोली कि अब यह मिट्टी के खिलौने और बर्तन बनाना बंद करो और शहर जाकर कोई नौकरी कर लो, क्योंकि इसे बनाने से हमारा गुजारा नही होता, काम करोगे तो महीने के अंत में कुछ धन आएगा। कुम्हार को भी अब ऐसा ही लगने लगा था, पर उसको मिट्टी के खिलौने बनाने का बहुत शौक था, लेकिन हालात से मजबूर था, और वो शहर जाकर नौकरी करने लगा,
देवयानी वर्मा
2 days ago2 min read
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