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मोची की कहानी
संगीता जैन किसी शहर में एक मोची रहा करता था। उसके घर के पास ही उसकी एक छोटी-सी दुकान थी। उस दुकान में वह मोची जूते बनाने का काम करता था। तैयार जूतों को बेचकर जो भी पैसे मोची के हाथ लगते उन्हीं से वह अपने परिवार का पेट पालता था। हालांकि, मोची अपना काम बड़ी मेहनत और लगन से करता था, लेकिन धीरे-धीरे उसके जूते खरीदने वालों की संख्या कम होने लगी। ऐसे में उसे कम दाम पर अपने तैयार जूतों को बेचना पड़ता था। इसका नतीजा यह हुआ कि समय के साथ उसका सारा जमा पैसा भी खत्म हो चला। नौबत यह आ गई
संगीता जैन
Dec 84 min read


एकता की ताकत
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव जंगली भैंसों का एक झुण्ड जंगल में घूम रहा था। तभी एक बछड़े ने पुछा... पिता जी, क्या इस जंगल में ऐसी कोई चीज है जिससे डरने की ज़रुरत है? बस शेरों से सावधान रहना.. भैंसा बोला। हाँ, मैंने भी सुना है कि शेर बड़े खतरनाक होते हैं...। अगर कभी मुझे शेर दिखा तो मैं जितना हो सके उतनी तेजी से दौड़ता हुआ भाग जाऊँगा... बछड़ा बोला। नहीं.. इससे बुरा तो तुम कुछ कर ही नहीं सकते.. भैंसा बोला। बछड़े को ये बात कुछ अजीब लगी..वह बोला। क्यों? वे खतरनाक होते हैं... मुझे मार स
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Nov 262 min read


समय और धैर्य
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक साधु था, वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करता था, ”जो चाहोगे सो पाओगे", "जो चाहोगे सो पाओगे" बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नही देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे। एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसने उस साधु की आवाज सुनी, “जो चाहोगे सो पाओगे”, जो चाहोगे सो पाओगे”, और आवाज सुनते ही उसके पास चला गया। उसने साधु से पूछा ”महाराज आप बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’ तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैं जो चाहता
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव
Nov 252 min read


मां का घर
सविता देवी एक दिन मैंने अपने पति के साथ झगड़े वाली सारी बातें अपने भाई को बता दी तो भाई ने कहा कि एक काम करो तुम कुछ दिनों के लिए हमारे घर आ जाओ...!! जब तुम दोंनो कुछ दिन एक दूसरे से अलग रहोगे तो तुम दोंनो को एक दूसरे की कमी का एहसास होगा...!! फिर मैं कुछ दिनों के लिए पति का घर छोड़कर भाई के घर आ गई... हालांकि मेरा भाई बहुत अच्छा है मुझे बहुत प्यार भी करता है पर कहते हैं न कि भाई चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो परन्तू...!! अगर कोई काम भाभी की मर्जी के हो तो घर का माहौल, खराब
सविता देवी
Nov 212 min read


इज्जत और इंसानियत
गोपाल चंद्र सर्दियों की सुबह थी। मुंबई एयरपोर्ट पर भीड़ अपने चरम पर थी। बिजनेस ट्रैवलर्स लैपटॉप लेकर भाग रहे थे, परिवार छुट्टियों पर जाने को तैयार थे और हर तरफ चकाचौंध थी। इसी भीड़ में एक बुजुर्ग महिला, श्रीमती विमला देवी, धीरे-धीरे चलते हुए एयरलाइंस के काउंटर तक पहुंची। उनका पहनावा सादा था - एक सूती साड़ी, ऊपर पुराना शॉल और पैरों में साधारण चप्पलें। हाथ में एक प्लास्टिक कवर में रखी प्रिंटेड टिकट थी। चेहरे पर शांति थी, लेकिन आंखों में थकान भी थी। उन्हें बस सीट कंफर्म होने का
गोपाल चंद्र
Nov 206 min read


समय-प्रबंधन
डॉo कृष्ण कांत श्रीवास्तव इस संसार में मौसम आते हैं और जाते हैं, मनुष्य आते हैं और जाते हैं, समाज बनता है और बिगड़ता है, पर समय बिना रुके सदा चलता रहता है। समय को कोई पकड़ नहीं सकता। हम जितना उसके पीछे दौड़ते हैं वह उतना ही आगे भाग जाता है। यह बहुत बड़ी विडंबना है कि हम समय का महत्व जानते हुए भी उसे व्यर्थ के कार्यों में जाया करते रहते हैं। समय-प्रबंधन की असमर्थता ही इसका मूल कारण है। हम यह भूल जाते हैं कि जीवन-प्रबंधन के लिए, व्यक्तित्व निर्माण के लिए और कार्यक्षेत्र में सफ
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Nov 187 min read


समझदार व्यापारी
हीरालाल मशालो का एक व्यापारी था, जो शहर-शहर जाकर मशाले बेचा करता था। एक दिन उसकी तबीयब बहुत खराब हो गयी जिस कारण वह मशाले बेचने नहीं जा पाता है।
हरिशंकर परसाई
Nov 183 min read


चौथा मित्र
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक गाँव में चार मित्र रहते थे। उनमें से तीन पढ़े-लिखे व विद्वान थे परंतु चौथा इतना विद्वान नहीं था, पर हर बात की सामान्य जानकारी रखता था। वह काफी व्यावहारिक था और अपने अच्छे-बुरे की समझ रखता था। एक दिन तीनों मित्रों ने तय किया कि उन्हें अपने ज्ञान के बल पर धन कमाना चाहिए। वे अपनी किस्मत आजमाने के लिए दूसरे देश के लिए चल पड़े। वे चौथे दोस्त को साथ नहीं ले जाना चाहते थे क्योंकि वह अधिक पढ़ा-लिखा नहीं था लेकिन बचपन का दोस्त होने के नाते उसे भी साथ ले ल
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Nov 42 min read


अभ्यास का महत्त्व
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे। बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे और अध्ययन भी किया करते थे। एक उम्र दराज विद्यार्थी को भी सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया। वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ घुलने मिलने लगा। लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था। गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में आती थी। इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Nov 32 min read


एक राजा की कहानी
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव ये कहानी है एक राजा की जो कि एक लंबी यात्रा के लिए निकल ने वाला था। तो सारे प्रजा के लोग राजा को नाव तक छोड़ने के लिए आते है। उन लोगों में से एक आदमी राजा के पास आकर कहता है कि महाराज जब आप जंगल से होते हुए जाएंगे तो आपको वहाँ एक छोटे कद का आदमी मिलेगा और वह आपको लड़ने के लिए चुनौती देगा। उस आदमी को आप जान से मारे बिना आगे मत बढ़ना। अब राजा उस आदमी की बात मानकर यात्रा पर निकल पड़ता है। जब दो दिनों के बाद राजा जब जंगल पहुंचता है तब राजा को एक छोटी कद वाल
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Nov 32 min read


सफलता का रहस्य
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक बार एक व्यक्ति ने सुकरात से पूछा कि “सफलता का रहस्य क्या है?” सुकरात ने उस इंसान को कहा कि वह कल सुबह नदी के...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Oct 71 min read


बादशाह का कुत्ता
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव ये कहानी है एक बादशाह की जिसे अपने कुत्ते से बड़ा प्यार था और वो हमेशा शाही अंदाज में रहता था। बादशाह के राज्य...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Oct 73 min read


अपनी असीम शक्तियों को पहचानिए
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव मनुष्य वह अद्भुत रचना है, जिसमें ईश्वर ने असीम शक्तियों को छिपा रखा है। लेकिन बहुत से लोग अपने जीवन में कभी उन शक्तियों को पहचान ही नहीं पाते। वे बाहरी दुनिया की समस्याओं, चुनौतियों और असफलताओं में उलझकर अपने आत्मबल को भूल जाते हैं। जब जीवन में संघर्ष आता है, तब हम हार मान लेते हैं और अपनी कमज़ोरियों को दोष देने लगते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि हर व्यक्ति के भीतर वह शक्ति है जो पर्वत को भी हिला सकती है। यदि हम अपने भीतर झाँकें, अपने मन की शक्ति को पहचा
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Oct 34 min read


बड़े बदलाव के लिए आज छोटी शुरुआत करें
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव बदलाव की बात करते ही हमारे मन में एक बड़ी तस्वीर उभरती है – जैसे जीवन पूरी तरह बदल जाए, समाज में क्रांति आ जाए, या देश प्रगति की नई ऊँचाइयों को छू ले। परंतु हम यह भूल जाते हैं कि हर बड़ा बदलाव एक छोटी शुरुआत से ही जन्म लेता है। समुद्र की शुरुआत एक छोटे से जलकण से होती है और पर्वत की ऊँचाई एक-एक कण से बनती है। ठीक उसी तरह, यदि हम अपने जीवन, समाज या देश में कुछ बड़ा बदलाव लाना चाहते हैं, तो उसकी पहली ईंट आज की छोटी कोशिश होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति क
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Oct 24 min read


समय का सदुपयोग करें
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव "समय अमूल्य है" – यह वाक्य हम सभी ने अनगिनत बार सुना है। पर क्या हम वास्तव में इस अमूल्य धन का सही उपयोग करते...
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव
Oct 14 min read


बनिये का बेटा
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक गाँव में एक बनिया रहता था, उसकी बुद्धि की ख्याति दूर दूर तक फैली थी।एक बार वहाँ के राजा ने उसे चर्चा पर...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Oct 12 min read


अपने काम से काम रखिये
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक पठान के पास एक बकरा और एक घोडा था। जिन्हें वो बहुत प्यार करता था। एक बार अचानक घोडा बीमार पड़ गया और बैठ...
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव
Sep 252 min read


किसान की चतुराई
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव रहमत नगर में माधो नाम का एक किसान रहता था। उसके पास कई सारे खेत थे। लेकिन, उसका खेत पहाड़ी क्षेत्र में होने के...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Sep 182 min read


तसला और कटोरा
डॉ. कृष्ण कांत श्रीवास्तव यह कहानी उस वक्त की है, जब किसी आंदोलन के कारण महात्मा गांधी बड़ौदा जेल में बंद थे। इस वक्त तक गांधी जी का नाम...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Sep 172 min read


रोज कुछ नया जीवन में उतारें
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव जीवन एक निरंतर बहती नदी है, जो कभी नहीं रुकती। हर दिन हमारे जीवन में एक नया अवसर लेकर आता है – कुछ नया सीखने,...
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव
Aug 164 min read