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बच्चों से क्षमा मांगो
प्रो.पुनीत शुक्ला तुम अपने उन बच्चों से तुरन्त क्षमा माँगो जिनको तुमने केवल इस बात पर पीट दिया क्योंकि उन्होंने तुम्हारी बात नहीं...
प्रो.पुनीत शुक्ला
Jul 41 min read


कहानी कैसे लिखूँ?
आदित्य नारायण शुक्ला ओस से लिखूँ या अश्कों से लिखूँ मैं दिल की कहानी कैसे लिखूँ...?? फूलों पे लिखूँ या हाथों पे लिखूँ होंठों की ज़बानी...
आदित्य नारायण शुक्ला
Feb 101 min read


सबसे प्रेम किया
नवीन रांगियाल मैं उन सीढ़ियों से भी प्रेम करता हूँ जिन पर चलकर उससे मिलने जाया करता था और उस खिड़की से भी जिसके बाहर देखती थीं उसकी उदास...
नवीन रांगियाल
Jul 16, 20241 min read


मातृभाषा की मौत
जसिंता केरकेट्टा माँ के मुँह में ही मातृभाषा को क़ैद कर दिया गया और बच्चे उसकी रिहाई की माँग करते-करते बड़े हो गए। मातृभाषा ख़ुद नहीं मरी...
जसिंता केरकेट्टा
Jul 14, 20241 min read


स्त्री की हत्या
अदनान कफ़ील दरवेश कुर्सियाँ उल्टी पड़ी हैं तंदूर बुझ चुका है आस-पास पानी गिरने से ज़मीन काफ़ी हँचाड़ हो गई है पत्तलों के ऊढे़ लगे हुए हैं...
अदनान कफ़ील दरवेश
Jul 3, 20242 min read


क्या कुछ बदला
सन्दीप तोमर क्या कुछ बदला मेरे होने या न होने से धरती आज भी उसी रफ्तार से घूम रही है चाँद भी उसी तरह अपनी चाँदनी बिखेर रहा है ध्वल रोशनी...
सन्दीप तोमर
May 13, 20241 min read


संभावनाएँ
कुँवर नारायण लगभग मान ही चुका था मैं मृत्यु के अंतिम तर्क को कि तुम आए और कुछ इस तरह रखा फैलाकर जीवन के जादू का भोला-सा इंद्रजाल कि लगा...
कुँवर नारायण
May 11, 20241 min read


नर हो, न निराश करो मन को
मैथिलीशरण गुप्त नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करो जग में रह कर कुछ नाम करो यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो समझो जिसमें यह व्यर्थ...
मैथिलीशरण गुप्त
Apr 10, 20241 min read


एक व्यक्ति
विनोद कुमार शुक्ल हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था व्यक्ति को मैं नहीं जानता था हताशा को जानता था इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया मैंने हाथ...
विनोद कुमार शुक्ल
Mar 29, 20241 min read


यादों के झरोखे से…
डॉ. जहान सिंह “जहान” कोई यहां रहता था। वैसे इस रास्ते से कम गुजरता हूं। डरता हूं मेरे चेहरे पर उसका कोई नाम ना पढ़ ले। बस्तियों का क्या...
डॉ. जहान सिंह “जहान”
Feb 25, 20242 min read


जिंदगी
सुरेंद्र गुप्त सीकर मेरे संग आगे-आगे जाती हुई लड़की मेरे संग पीछे-पीछे आती हुई लड़की रोती हुई रूठी और मनाती हुई लड़की पल-पल मृदु मुस्काती...
सुरेंद्र गुप्त सीकर
Feb 2, 20241 min read


समर्पण
प्राची मिश्रा आराधन तुम प्रियवर मेरा हियवंदन नित करते जाना जीवन का तुम आधार प्रिये तृण तृण हमको ढलते जाना। किस ओर चला ये मन मेरा किसने...
प्राची मिश्रा
Feb 2, 20241 min read


अपना बचपन
शंकर पांडे पुराने चौक चौबारे मुहब्बत से बुलाते हैं। चलो न गाँव को हम फिर से वापस लौट जाते हैं। जहाँ पर छोड़ आए थे वो कच्चे आम की डाली।...
शंकर पांडे
Feb 1, 20241 min read


ख्वाब
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव रोटी की भाग दौड़ में मैं, प्यार जताना भूल गया। सिर पर कामों का बोझ लाद, मैं दिन भर फिरता रहता था। जीवन की...
Rachnakunj .
Jan 22, 20241 min read


किस घर की बेटी
अनजान (एक कवि नदी के किनारे खड़ा था। तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था। तो तभी कवि ने उस शव से पूछा ----) कौन हो तुम...
Rachnakunj .
Jan 6, 20241 min read


इंकलाब लिखता हूँ।
अमरेन्द्र मैं जो भी लिखता हूँ, इंकलाब लिखता हूँ। किसी के दुख-दर्द से, जुड़ा सवाल लिखता हूँ। मैं तो बस इतना ही, काम करता हूँ। हर अन्याय के...
Rachnakunj .
Nov 1, 20231 min read


वक़्त
नासिर कोई ताज़ा हवा चली है अभी कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी और ये चोट भी नई है अभी शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में कोई दीवार सी गिरी है अभी...
Rachnakunj .
Oct 16, 20231 min read


बरस से बातें
नमिता गुप्ता “मनसी” जाते हुए बरस से बातें, जो कभी कही नहीं गईं सुअवसर के इंतज़ार में ठिठकी रहीं कहने और न कहने के ठीक बीच के अंतराल पर,...
Rachnakunj .
Oct 15, 20231 min read


REFUGEE
Akriti Singh Class IX Allen House Public School, Ghaziabad At dawn came in sinister shadows Suddenly the world went pitch black Not a...
Rachnakunj .
Oct 13, 20231 min read


गहरी रात
जसलीन रात हुई गहरी सी काली दूर हुई निसदिन लाली परिंदों ने पंख फड़फड़ाए नभ में भी तारे दिखलाये जुगनू निशा से बतियाते छिपते तो कभी चमचमाते...
Rachnakunj .
Oct 3, 20231 min read