top of page

इंकलाब लिखता हूँ।

अमरेन्द्र


मैं जो भी लिखता हूँ,
इंकलाब लिखता हूँ।
किसी के दुख-दर्द से,
जुड़ा सवाल लिखता हूँ।
मैं तो बस इतना ही,
काम करता हूँ।
हर अन्याय के विरुद्ध,
मैं कलम चलाता हूँ।
मैं गंदे विचारों से,
हमेशा दूर रहता हूँ।
जिससे सबका हो भला,
वही विचार रखता हूँ।
मैं टूटे को जोड़ने का,
प्रयास करता हूँ।
जो भटक गया है,
उसे सही रास्ते पर,
लाना चाहता हूँ।
मैं इस धरती को स्वर्ग से,
बेहतर देखना चाहता हूँ।
मैं एक इंसान हूँ,
इंसानियत से वास्ता रखता हूँ।
मैं सोए को आज,
जगाने को लिखता हूँ।
मैं जो भी लिखता हूँ,
इंकलाब लिखता हूँ।

*****

Comments


bottom of page