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महान् गणितज्ञ रामानुजन : धुन के पक्के
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव रामानुजन का जन्म एक गरीब परिवार में 22 दिसम्बर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड़ कस्बे में हुआ था। उनके पिता एक साड़ी की दुकान पर क्लर्क का काम करते थे। रामानुजन के जीवन पर उनकी माँ का बहुत प्रभाव था। जब वे 11 वर्ष के थे, तो उन्होंने गणित की किताब की पूरी मास्टरी कर ली थी। गणित का ज्ञान तो जैसे उन्हें ईश्वर के यहाँ से ही मिला था। 14 वर्ष की उम्र में उन्हें मेरिट सर्टीफिकेट्स एवं कई अवार्ड मिले। वर्ष 1904 में जब उन्होंने टाउन हाईस्कूल से स्नातक पास की, तो उन
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Nov 42 min read


संगीत प्रेमी
मुकेश ‘नादान’ नरेंद्र उन दिनों अपने पिता के घर भोजन करने के लिए केवल दो बार जाया करते थे, और दिन-रात निकट के रामतनु बसु की गली में स्थित...
मुकेश ‘नादान’
Jan 33 min read


मित्र की मदद
मुकेश ‘नादान’ बी.ए. की परीक्षा के लिए फीस जमा करने का समय आ गया था। सबके रुपयों की व्यवस्था हो गई थी। केवल चोरबागान के गरीब मित्र हरिदास...
मुकेश ‘नादान’
Dec 14, 20243 min read


निषिद्ध भोजन
मुकेश ‘नादान’ एक दिन नरेंद्र होटल में खाना खा आया और आकर श्रीरामकृष्ण देव से कहा, “महाराज, आज एक होटल में, साधारण लोग जिसे निषिद्ध कहते...
मुकेश ‘नादान’
Nov 3, 20243 min read


स्वप्न
मुकेश ‘नादान’ नरेंद्र अकसर कलकत्ता में अपने घर में बैठकर सुदूर दक्षिणेश्वर में श्रीरामकृष्ण के ध्यान में निमग्न श्रीमूर्ति का दर्शन किया...
मुकेश ‘नादान’
Oct 24, 20242 min read


ईश्वर के प्रति विद्रोह
मुकेश ‘नादान’ नरेंद्र का चरित्र अपनी माँ से बहुत प्रभावित था। वे एक धर्मपरायण महिला थीं। मगर इस घोर विपत्ति में उनका विश्वास भी डोल गया।...
मुकेश ‘नादान’
Oct 13, 20242 min read


पिता का देहांत
मुकेश ‘नादान’ समय के साथ-साथ सब कुछ ठीक ही चल रहा था कि अचानक एक दिन हृदयाघात के कारण नरेंद्र के पिता का देहांत हो गया। नरेंद्र के पिता...
मुकेश ‘नादान’
Apr 8, 20242 min read


नरेंद्र की जीत
मुकेश ‘नादान’ 'एकरसता उनसे सहन नहीं होती थी, अत: नित्य नवीन आनंद के उपाय की खोज करनी पड़ती थी। तब यहाँ यह कह देना भी आवश्यक है कि उनके...
मुकेश ‘नादान’
Apr 3, 20242 min read


अँगरेजी भाषण
मुकेश ‘नादान’ विद्यालय में पढ़ने के समय ही नरेंद्रनाथ की वाक्य शक्तिजागृत हो गई थी। एक बार मेट्रोपोलिटन इंस्टीट्यूट में पुरस्कार वितरण के...
मुकेश ‘नादान’
Mar 30, 20241 min read


जीवन का लक्ष्य
मुकेश ‘नादान’ 'पाश्चात्य शिक्षा के प्रभाव से नरेंद्र ने अतीत को भुलाकर वर्तमान में रहना सीखा था। उन्होंने बाइबिल भी पढ़ी थी, किंतु...
मुकेश ‘नादान’
Mar 25, 20243 min read


नरेंद्र की परीक्षा
मुकेश ‘नादान’ रामकृष्ण परमहंस ने नरेंद्र की परीक्षा लेने के लिए ऐसा भाव अपनाया कि वे नरेंद्र के दक्षिणेश्वर आने पर उनकी ओर तनिक भी ध्यान...
मुकेश ‘नादान’
Mar 15, 20242 min read


महर्षि देवेंद्रनाथ से भेंट
मुकेश ‘नादान’ नरेंद्र की प्रवेशिका परीक्षा के कुछ दिनों बाद से ही सम्मिलित परिवार में विवाद बढ़ जाने एवं चाचा के परिवार के उत्पीड़न से...
मुकेश ‘नादान’
Mar 9, 20242 min read


ब्रह्मसमाज का त्याग
मुकेश ‘नादान’ बहुत समय बीतने के बाद नरेंद्र दक्षिणेश्वर नहीं आए। रामकृष्ण उन्हें देखने के लिए व्याकुल हो उठे। रविवार का दिन था, नरेंद्र...
Rachnakunj .
Oct 13, 20231 min read


गुरु-शिष्य का प्रेम
मुकेश ‘नादान’ एक दिन श्रीरामकृष्ण व्याकुल भाव से मंदिर के प्रंगण में घूम रहे थे और माँ काली से विनती कर रहे थे, “माँ! मैं उसे देखे बिना...
Rachnakunj .
Oct 5, 20232 min read


गुरु-शिष्य मिलन
मुकेश ‘नादान’ नरेंद्र के लिए रामकृष्ण देव का मन मानो नरेंद्रमय हो गया था। उनके मुख से नरेंद्र के गुणानुवाद के सिवाय और कोई दूसरी बात नहीं...
Rachnakunj .
Sep 23, 20233 min read


गुरु की व्याकुलता
मुकेश ‘नादान’ नरेंद्रनाथ के दक्षिणेश्वर आगमन के कुछ दिनों बाद बाबूराम (भविष्य में स्वामी प्रेमानंद) का आवागमन शुरू हुआ। एक दिन वे रामदयाल...
Rachnakunj .
Sep 16, 20232 min read


ईश्वर क्या है?
मुकेश ‘नादान’ नरेंद्र प्रात: सायं भजन करने बैठ जाते, ईश्वर का नाम लेते, उन्हें स्मरण करते। एक दिन उनके पिता ने उनकी परीक्षा लेनी चाही तो...
Rachnakunj .
Aug 27, 20232 min read


गुरु की उदासी
मुकेश ‘नादान’ एक दिन श्रीरामकृष्ण भक्त के स्वभाव को चातक का दृष्टांत देकर समझा रहे थे, “चातक जिस प्रकार अपनी प्यास बुझाने के लिए बादल की...
Rachnakunj .
Aug 18, 20232 min read


सच्चा गुरु
मुकेश ‘नादान’ नरेंद्र की उस समय जो मन:स्थिति थी, उसके विषय में स्वामी सारदानंद ने अपने ग्रंथ 'श्रीरामकृष्ण लीला प्रंग' में लिखा है, “मैं...
Rachnakunj .
Aug 6, 20232 min read


सच्चे गुरु की तलाश
मुकेश ‘नादान’ सन् 1881 की बात है। नवंबर का महीना था, ठंड भी अपना भरपूर असर दिखा रही थी। एक दिन श्रीरामक्रृष्ण परमहंस आमंत्रण पर...
Rachnakunj .
Jul 29, 20233 min read