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जनता को मूर्ख बनाते हैं
रमेश चंद शर्मा सावधान जनता समझ रही है स्वदेशी के गीत गाते थे, स्वदेशी नाम से ललचाते थे, स्वदेशी आन्दोलन चलाते थे, सड़कों पर नजर आते थे, अफवाह, झूठ खूब फैलाते हैं, अब क्या कर रहे हो भाई।। बिना बुलाए आते थे, झूठा संवाद चलाते थे, झूठी कसमें खाते थे, नारे खूब लगाते थे, सत्ता के लिए छटपटाते थे, सत्ता कैसे भी पाते है।। जनता को मूर्ख बनाते है, ढोंग खूब रचाते है, वादे नहीं निभाते है, जुमले उन्हें बताते है, अपने को भगत कहलाते हैं, अब चेहरा सामने आया है।। सत्ता जब से हाथ आई, स्व
रमेश चंद शर्मा
Nov 202 min read


संस्कार
ब्रिज उमराव जन्म प्रक्रिया से शूदक हो, संस्कार से होता पावन। प्रेम प्यार स्नेह समर्पण, अन्तर्मन होता उत्प्लावन।। संस्कार से सेवित...
ब्रिज उमराव
Oct 30, 20241 min read


ज़िंदगी अरमान बनके गुनगुनाई
शंकर शैलेंद्र ज़िंदगी अरमान बनके गुनगुनाई एक नई पहचान बनके मुस्कुराई तुम रहे आकाश को ही देखते। जब समझ पाए न तुम उसका इशारा नाम लेकर...
शंकर शैलेंद्र
Aug 30, 20241 min read


एक पेड़ हमने लगाया
अशोक कुमार बाजपेई अब गति आगे बढ़ाओ एक पेड़ हमने लगाया एक तुम लगाओ पंक्ती को बनाओ पांति को सजाओ एक पेड़ हमने लगाया एक तुम लगाओ यहां से...
अशोक कुमार बाजपाई
Jun 15, 20241 min read


मोबाइल पर मुन्ना
अशोक कुमार बाजपाई मोबाइल पर मुन्ना बतलाता बाबा जी को बहुत सुहाता सुनता नहीं काम की बातें मोबाइल में कटती रातें। जाने कहां की बातें लाता...
अशोक कुमार बाजपाई
Apr 11, 20241 min read


My Lovely Son
Jyoti Sriram My Lovely Son The tapestry of life woven with incredible happiness and love Bestowed on me by a sweet bundle of joy; a part...
Jyoti Sriram
Mar 6, 20241 min read


अंतिम ऊँचाई
कुँवर नारायण कितना स्पष्ट होता आगे बढ़ते जाने का मतलब अगर दसों दिशाएँ हमारे सामने होतीं, हमारे चारों ओर नहीं। कितना आसान होता चलते चले...
कुँवर नारायण
Feb 25, 20241 min read


महंगाई की मार
मुदित अग्रवाल महंगाई की मार जनता हो रही है बरवाद इसको कौन बचाएगा महंगाई की बढ़ रही मार जीवन कैसे कट पायेगा। महंगाई तो बढ़ती जा रही बढ़ते...
मुदित अग्रवाल
Feb 2, 20241 min read


परिंदे की दास्तां
धीरज सिंह उड़ जा पंछी दूर गगन में वो ही तेरा बसेरा है, इस धरती पर और इस जग में कोई नहीं अब तेरा है। आसमां तुझे हाथ फैला कर पल भर में अपना...
धीरज सिंह
Feb 2, 20241 min read


नगाड़ों में तूती-नाद
सत्येंद्र तिवारी स्वतंत्र हो गए हैं हम स्वतंत्र हो गए, खुदगर्ज मकसद का प्रजातंत्र हो गए। हर गांव की डगर-डगर शहरों की हर गली माता-पिता बहन...
सत्येंद्र तिवारी
Feb 2, 20241 min read


मंगल कामनाएँ
प्रतिभा गुप्ता खिल उठीं पलकें सुनहरे स्वप्न का प्रतिमान आया। आस की लेकर नयीं किरणें नया दिनमान आया।। जिस तरफ देखो दुआओं के गुलों की...
प्रतिभा गुप्ता
Feb 1, 20241 min read


मेरा कवि मेरा कमाल
(एक व्यंग) डॉ. जहान सिंह “जहान” आजकल कवि क्या कमाल करते हैं। शब्दों की भीड़ शब्दों का धरना शब्दों का प्रदर्शन कर साहित्य का ट्रैफिक जाम...
डॉ. जहान सिंह “जहान”
Jan 25, 20242 min read


यादों और सौगातों में नीम
मधु मधुलिका ऐ नीम कैसे करूँ तुम्हारा वर्णन मैं कैसे बताउँ तुम्हारी उपयोगिता तुम्हारा सौन्दर्य अनुपम है सूरज भी तुम्हारे दरख्तों से झांक...
Rachnakunj .
Jan 3, 20241 min read


मेरा कवि मेरा कमाल
(एक व्यंग) डॉ. जहान सिंह “जहान” आजकल कवि क्या कमाल करते हैं। शब्दों की भीड़ शब्दों का धरना शब्दों का प्रदर्शन कर साहित्य का ट्रैफिक जाम...
Rachnakunj .
Dec 5, 20231 min read


सच की राह
मधु मधुमन ख़ामियाँ ही न गिनवाइए कुछ तो अच्छा भी बतलाइए चाहे कितनी भी हो मुश्किलें राह सच की ही अपनाइए जब किया ही नहीं कुछ ग़लत क्यूँ किसी...
Rachnakunj .
Nov 17, 20231 min read


नगाड़ों में तूती-नाद
सत्येंद्र तिवारी स्वतंत्र हो गए हैं हम स्वतंत्र हो गए, खुदगर्ज मकसद का प्रजातंत्र हो गए। हर गांव की डगर-डगर शहरों की हर गली माता-पिता बहन...
Rachnakunj .
Nov 12, 20231 min read


शीत ऋतु
देवेन्द्र देशज सर-सर पछुआ चल रही, रूप रखी विकराल। सूर्य संग है मित्रता, रातों संग मलाल।। कम्बल से संबल मिला, राहत देती आग। चाहत बढ़ती चाय...
Rachnakunj .
Oct 10, 20231 min read


क़दम मिला कर चलना होगा
अटल बिहारी वाजपेयी क़दम मिला कर चलना होगा बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,...
Rachnakunj .
Oct 1, 20231 min read


लक्ष्य
नेतराम भारती अगर-मगर की तोड़ दिवारें, चल उठ जो भी ठाना है। स्वेद-लहू की बूँद-बूँद का, फल तुझको मिल जाना है। व्योम-शिखर तक होड़ लगाते,...
Rachnakunj .
Sep 22, 20231 min read


एक परिंदे का खत, मेरे नाम।
डॉ. जहान सिंह ‘जहान’ तुम अपने को कहते हो ‘जहान’। अगर सुन सकते हो तो सुनो मेरा दर्द-ए-बयान। मुझे मेरे हिस्से का आसमां दे दो। कुछ हवा, चंद...
Rachnakunj .
Sep 10, 20231 min read