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मोबाइल पर मुन्ना

अशोक कुमार बाजपाई

 

मोबाइल पर मुन्ना बतलाता
बाबा जी को बहुत सुहाता
सुनता नहीं काम की बातें
मोबाइल में कटती रातें।
 
जाने कहां की बातें लाता
खुद गढ़ता है हमें सुनाता
दादी से हंसकर बतलाता
पास बुलाने पर ना आता।
 
किस को अपनी चीज न देता
और दूसरों की रख लेता
गुस्सा करता शोर मचाता
बाबा से बातें मानवता।
 
छोटा बहुत अभी है मालू
बुद्धू नहीं, बहुत है चालू
बातें बहुत बनाता रहता
इधर उधर की लाता रहता।

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