समझदार व्यापारी
- हरिशंकर परसाई
- Nov 18
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हरिशंकर परसाई
हीरालाल मशालो का एक व्यापारी था, जो शहर-शहर जाकर मशाले बेचा करता था। एक दिन उसकी तबीयब बहुत खराब हो गयी जिस कारण वह मशाले बेचने नहीं जा पाता है। उसका बेटा जब खेल कर आता है तो देखता है कि उसका पिता बिस्तर पर लेता हुआ है।
यह देख कर अपने पिता से पूछता है। क्या, हुआ पिताजी जो आज आप शहर नहीं गए? उस पर पिता कहता है,"आज मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है जिस बजह से मशाले बेचने शहर नहीं गया हूँ।
उसका बेटा भोला बोलता है तो आज मै शहर मशाले बेचने चला जाता है। यह सुन कर उसके पिता कहते है,"तुम अभी बहुत छोटे हो और दुकानदार तुम्हे मूर्ख बना कर सस्ते में माल खरीद लेगा। इस पर उसका बेटा भोला बोलता है,"पिताजी सिर्फ मेरा नाम ही भोला बाकि मै बहुत चालक हूँ "
यह बोल कर अपने पिता से शहर जाने की जिद्द करने लगता है फिर उसके पिता उसकी माँ को उसे समझाने के लिए कहता है लेकिन वह अपनी माँ की भी बात नहीं मानता है। अंत में दोनो उसे शहर भेजने के लिए तैयार हो जाते है।
शहर भेजने से पहले उसके पिता कहते है,"अगर तुम ये तीन बात मानोगे तो ही तुम्हें शहर जाने दुगा",उस पर उसका बेटा कहता है ठीक है पिताजी। मै आप की सारी बाते मानने के लिए तैयार हूं।
पहली बात तुम्हारी माँ तुम्हें कुछ रोटियां देगी,जब तुम्हें भूख लगे तो खाना लेकिन खाने से पहले एक खाऊ, दो खाऊ, तीन खाऊ या चार खाऊ । ये शब्द जरूर बोलना होगा ।
दूसरी बात जब भी कमरा लेना तो कुंडी वाला लेना, अगर कुंडी वाला ना हो तो लेने से मना कर देना। बेटा कहता है ठीक है पिताजी जैसी आप बोले है,वैसे ही करेंगे।
तीसरी बात जब भाव सही ना दे तो कहना पिताजी से पूछ कर आता हूं। उसका बेटा उसकी सारी बात मानने के लिए तैयार हो जाता है।
जब वह शहर पहुँचता है तो चार चोर उसे देख कर कहते है, इसके पोटली में जरूर कोई कीमती चीज है। सुनसान जगह देख कर उसकी पोटली छीन लेगे,चारो चोर बात कर रहे थे।
उसे भूख लगती है तो वह एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है और खाना निकलता है। जैसा कि उसकी पिता ने बताया था वो बोलने लगता है एक खाऊ, दो खाऊ, तीन खाऊ या चार खाऊ।
यह बात सुन चारों चोर भाग जाते है और एक जगह रुक कर कहते है वो तो भूत था। अगर वह हम सब को देख लेता तो चारों को खा जाता।
खाना खाने के बाद, वह एक सराय जाता है, जहाँ वह पूछता है कोई कमरा मिलेगा तो सराय का मालिक कहता है मिल जाएगा लेकिन जब वह पूछता है उस मे कुड़ी तो है ना। इस पर सराय का मालिक समझ जाता है कि इसे पता है कि यहाँ सामान चोरी होता है। फिर सराय का मालिक उसे वहाँ से भगा देता है।
अब वह मशाले बेचने जाता है तो दुकानदार कहता है, "तुम जो कीमत बोल रहे हो उस से आधी कीमत दुगा, इस पर भोला बोलता है। मै अपने पिताजी से पूछ कर आता हूं, इस पर व्यापारी मन में कहता है, "लगता है इसका पिता भी साथ आया और कही किसी और को माल ना बेच दे" यह सोच कर व्यापारी उसका माल ख़रीद लेता है।
निष्कर्ष - हमारे बड़े अगर कोई बात बोले तो उसे ध्यान से सुनना और समझना चाहिए क्योंकि वे बिना वजय कोई बात हमें नहीं बोलते है।
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