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बादशाह का कुत्ता

डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
ये कहानी है एक बादशाह की जिसे अपने कुत्ते से बड़ा प्यार था और वो हमेशा शाही अंदाज में रहता था। बादशाह के राज्य के लोग कहते काश हम भी बादशाह के कुत्ते होते तो काश हमारी जिंदगी भी थोड़ी ठीक होती। बादशाह अपनी प्रजा पर कम ध्यान देता था पर उसका सारा ध्यान अपने कुत्ते पर था। कुछ लोग बादशाह की मिसाल देते थे अगर जानवरों से प्यार करना है तो बादशाह से सीखिए।
बादशाह जहाँ भी जाते थे वहाँ वे अपने पालतू कुत्ते को साथ में रहते थे और दरबार में भी उनका कुत्ता हमेशा बैठा रहता था। एक बार बादशाह को किसी दूसरी राज्य के राजा से मिलने जाना था पर वहाँ तक जाने का रास्ता समुद्री था।
बादशाह वहाँ जाने के लिए अपनी जहाज में सवार हुए। अब उनके साथ बादशाह के मंत्री, सैनिक और कुछ सवारी लोग भी थे। अब बादशाह जहाँ भी जाता वहाँ वे अपने प्यारे कुत्ते को भी साथ लेकर जाते थे।
बादशाह के कुत्ते के लिए ये पहला समुद्री सफर था जब वह जहाज में बैठा था। जब जहाज ने आगे बढ़ाना शुरू किया तो जहाज के पानी में हलचल की वजह से वह कुत्ता घबराने लगा और वह कुत्ता जहाज में इधर से उधर भागने लगा।
जहाज में बैठे बाकी लोग भी कुत्ते की इस हरकत को देखकर खुद को असहज महसूस करने लग गए और उस कुत्ते के उछल कूद करने के वजह से जहाज में बैठे लोगो को चिंता होने लगी कि कही जहाज पलट ना जाए।
हर कोई चाह रहा था कि काश ये बात बादशाह भी समझ ले लेकिन बादशाह को शुरू-शुरू में बड़ा अच्छा लग रहा था क्योंकि उनका कुत्ता बड़े मजे से जहाज में खेल रहा था। अब थोड़ी देर बाद बादशाह को भी कुत्ते की इस हरकत से चिढ़ लगने लगी। उन्हें लगने लगा कि कही कोई ख़तरा ना हो जाए और अपने कुत्ते के इस तरह उछल कूद करने की वजह से कही जहाज ही पानी में पलट जाए।
जहाज पर सफर कर रहे लोगो में एक दार्शनिक बैठा हुआ था। उस दार्शनिक ने बादशाह के पास जाकर बोला गुस्ता कि माफ़ हो हुजूर लेकिन हमे कुछ ना कुछ करना होगा वरना ये आपका प्यारा कुत्ता हम सबको मुसीबत में डाल देगा और इस जहाज को पलटी कर देगा।
बादशाह ने कहा ठीक है आप क्या करना चाहते है और आप को जो समझ में आ रहा है आप कर लीजिए मेरी तरफ से आपको इजाजत है। तभी वह दार्शनिक गया और अपने साथ दो लोगो लेकर आया अब उन तीनों ने मिलकर उस कुत्ते को पकड़ा और समुद्र में फेंक दिया।
जैसे ही कुत्ता समुद्र में गिरा तब उसकी जान पर बन आयी और वह समझ नहीं पा रहा था कि अब वह क्या करे तब उसने डरते हुए कैसे भी कर के जहाज को पकड़ लिया और थोड़ी देर तक वैसे ही जहाज के साथ समुद्र के पानी में तैरता रहा।
दार्शनिक ने अपने साथियों से कहा कि अब इसको वापस से जहाज में उठाकर ले आते है। कुत्ता जहाज में वापस आने के बाद चुपचाप से जहाज के एक कोने में जाकर बैठ गया।
बादशाह और बाकि लोगों को समझ नहीं आया कि यह क्या हो गया। अचानक से इस कुत्ते की उछल कूद कैसे बंद हो गयी। तब बादशाह ने उस दार्शनिक से पूछा तुमने ये क्या किया जो कुत्ता इतना उछल कूद रहा था वह अचानक से पालतू बकरी बन गया है।
दार्शनिक ने कहा बादशाह बड़ी सीधी सी बात है “जिंदगी में जब तक खुद पर कोई परेशानी नहीं आती तब तक हमे दूसरे की परेशानियां समझ नहीं आती और जब खुद की जान पर बन आती तब हम दूसरे की परिस्थिकों अपने आप समझ जाते है।”
सीख:- कमी देखनी है और बुराई देखनी है तो सबसे पहले खुद की देखिये और उसे ठीक करने की कोशिश करिए।

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