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लौटा दी खुशियां

दिलीप कुमार

जैसे ही बाहर की घंटी बजी, तो नौकर ने पूजा को आकर बताया कि पडोस वाली कमला आन्टी, अभी-अभी टैक्सी से उतर कर सामान सहित बाहर खडी है। पूजा हैरान सी उसे घूरते हुए जल्दी-जल्दी बाहर आई। अभी सुबह ही तो सारे मुहल्ले ने उन्हें नम ऑखो से विदाई दी थी। वह अपने इकलौते बेटे गौरव के साथ कैनेडा जा रही थी। अपने पति की मृत्यु के बाद वह अकेली हो गयी थी। बेशक सारा मुहल्ला उन का अपना था। वह काफी मिलनसार, सुख दुख सान्झा करने वाली महिला थी। सब को उनका जाना बहुत अखर रहा था, पर सब सोच कर प्रसन्न थे कि शेष जीवन वह पूरे परिवार के साथ हंसी, खुशी से बितायेगी।
दरवाजे पर सामान सहित कमला जी को देख कर पूजा को विश्वास नही आया। उसने नौकर को सामान भीतर लाने को कहा। एक बार उसके मन मे आया कि शायद फ्लाईट छूट गयी हो, पर गौरव को भी साथ होना चाहिए था। जैसे ही उसने गौरव के बारे में पूछा तो उन की ऑखो से ऑसू बह निकले। पूजा ने प्यार से उनकी पीठ थपथपाई और पानी पिलाया। थोडी देर बाद जब कमला जी संयत हुई तो उन्होंने बताना शुरु किया।

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