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सिर्फ तेरे लिए

काजल शर्मा

 

वो चूड़ियाँ जो सिर्फ़ तेरे लिए पहनी थी!
कहाँ शौक था मुझे,
सजने-सवरने का।
नैनो में काला काजल,
तो माथे पे बिंदिया लगाने का।
तुझे देख पलकें झुकाने,
और मुस्कुराने शर्माने का।
कहाँ शौक था मुझे,
खुद को एक युवती बनाने का।
हाथों में चूड़ी,
पैरों में पायल छनकाने का।
केशों को खुला छोड़,
ज़ुल्फों को पीछे हटाने का।
कहाँ शौक था मुझे,
खुद में शार्मो हया लाने का।
हाँ! ये चूड़ियाँ सिर्फ़ तेरे लिए पहनी थी,
अंदाज़ था मेरा तुझे इशारों में बुलाने का।
दुपट्टे को सलीके से ओढ़,
इस दफा सूट में नज़र आने का।
कहाँ शौक था मुझे,
तेरी चाहत में इतना बदल जाने का।
चूड़ियाँ जो सिर्फ़ तेरे लिए पहनी थी!
सिर्फ तेरे लिए!

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