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जनता को मूर्ख बनाते हैं
रमेश चंद शर्मा सावधान जनता समझ रही है स्वदेशी के गीत गाते थे, स्वदेशी नाम से ललचाते थे, स्वदेशी आन्दोलन चलाते थे, सड़कों पर नजर आते थे, अफवाह, झूठ खूब फैलाते हैं, अब क्या कर रहे हो भाई।। बिना बुलाए आते थे, झूठा संवाद चलाते थे, झूठी कसमें खाते थे, नारे खूब लगाते थे, सत्ता के लिए छटपटाते थे, सत्ता कैसे भी पाते है।। जनता को मूर्ख बनाते है, ढोंग खूब रचाते है, वादे नहीं निभाते है, जुमले उन्हें बताते है, अपने को भगत कहलाते हैं, अब चेहरा सामने आया है।। सत्ता जब से हाथ आई, स्व
रमेश चंद शर्मा
1 day ago2 min read


बड़े बदलाव के लिए आज छोटी शुरुआत करें
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव बदलाव की बात करते ही हमारे मन में एक बड़ी तस्वीर उभरती है – जैसे जीवन पूरी तरह बदल जाए, समाज में क्रांति आ जाए, या देश प्रगति की नई ऊँचाइयों को छू ले। परंतु हम यह भूल जाते हैं कि हर बड़ा बदलाव एक छोटी शुरुआत से ही जन्म लेता है। समुद्र की शुरुआत एक छोटे से जलकण से होती है और पर्वत की ऊँचाई एक-एक कण से बनती है। ठीक उसी तरह, यदि हम अपने जीवन, समाज या देश में कुछ बड़ा बदलाव लाना चाहते हैं, तो उसकी पहली ईंट आज की छोटी कोशिश होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति क
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Oct 24 min read
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