सम्पदा ठाकुर
मैं बांध नहीं रही तुम्हें किसी बंधन में
ना करवा रही तुमसे कोई करार
बेफिक्र रहो तुम हो आजाद
पर मुझे मत रोको यार
जिस बंधन में बंध चुकी हूं मैं
नहीं हो सकती उससे आजाद
मैं नहीं कहती तुमसे
तुम हर पल करो मुझसे बात
पर जब मेरा दिल करे तब
सुना दिया करो अपनी आवाज
बस एक झलक दिखला दिया करो
जब करना चाहे दिल तेरा दीदार
मुझे पता है मेरी खुशी के लिए
मेरा दिल रखने के लिए
कर लेते हो मुझसे बात
मगर कहीं ना कहीं
मेरे दिल में है एक आस
खुद पर और मुझे मेरे रब पर
हमको है पूरा विश्वास
एक ना एक दिन तुम भी
इस बंधन को मानोगे यार
तुम भी करोगे हमसे प्यार
जिस तरह मैं हर पल
महसूस करती हूं तुमको
तुमको भी होगा मेरा एहसास
बस उस पल का है इंतजार।
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