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देवी प्रसाद यादव
शहर के सबसे बड़े बैंक में एक बार एक बुढ़िया आई। उसने मैनेजर से कहा - “मुझे इस बैंक में कुछ रुपये जमा करने हैं।”
मैनेजर ने पूछा - कितने हैं?
वृद्धा बोली - होंगे कोई दस लाख।
मैनेजर बोला - वाह क्या बात है, आपके पास तो काफ़ी पैसा है, आप करती क्या हैं?
वृद्धा बोली - कुछ खास नहीं, बस शर्तें लगाती हूँ।
मैनेजर बोला - शर्त लगा-लगा कर आपने इतना सारा पैसा कमाया है? कमाल है…
वृद्धा बोली - कमाल कुछ नहीं है, बेटा, मैं अभी एक लाख रुपये की शर्त लगा सकती हूँ कि तुमने अपने सिर पर विग लगा रखा है।
मैनेजर हँसते हुए बोला - नहीं माताजी, मैं तो अभी जवान हूँ और विग नहीं लगाता।
तो शर्त क्यों नहीं लगाते? वृद्धा बोली।
मैनेजर ने सोचा यह पागल बुढ़िया खामख्वाह ही एक लाख रुपये गँवाने पर तुली है, तो क्यों न मैं इसका फ़ायदा उठाऊँ… मुझे तो मालूम ही है कि मैं विग नहीं लगाता।
मैनेजर एक लाख की शर्त लगाने को तैयार हो गया ।
वृद्धा बोली - चूँकि मामला एक लाख रुपये का है, इसलिये मैं कल सुबह ठीक दस बजे अपने वकील के साथ आऊँगी और उसी के सामने शर्त का फ़ैसला होगा।
मैनेजर ने कहा - ठीक है, बात पक्की…
मैनेजर को रात भर नींद नहीं आई.. वह एक लाख रुपये और बुढ़िया के बारे में सोचता रहा।
अगली सुबह ठीक दस बजे वह बुढ़िया अपने वकील के साथ मैनेजर के केबिन में पहुँची और कहा - क्या आप तैयार हैं?
मैनेजर ने कहा - बिलकुल, क्यों नहीं?
वृद्धा बोली - लेकिन चूँकि वकील साहब भी यहाँ मौजूद हैं और बात एक लाख की है, अतः मैं तसल्ली करना चाहती हूँ कि सचमुच आप विग नहीं लगाते, इसलिये मैं अपने हाथों से आपके बाल नोचकर देखूँगी।
मैनेजर ने पल भर सोचा और हाँ कर दी, आखिर मामला एक लाख का था।
वृद्धा मैनेजर के नजदीक आई और मैनेजर के बाल नोचने लगी। उसी वक्त अचानक पता नहीं क्या हुआ, वकील साहब अपना माथा दीवार पर ठोंकने लगे।
मैनेजर ने कहा - अरे.. अरे.. वकील साहब को क्या हुआ?
वृद्धा बोली - कुछ नहीं, इन्हें सदमा लगा है, मैंने इनसे पाँच लाख रुपये की शर्त लगाई थी कि आज सुबह दस बजे मैं शहर के सबसे बड़े बैंक के मैनेजर के बाल नोचकर दिखा दूँगी।

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