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अच्छा लगा

डॉ. भरत सरन

यह देखकर की जयपुर के एक कॉफी हाउस पर एक उम्र दराज व्यक्ति अपने हाथ में एक किताब लेकर कुछ पढ़ रहे थेl
देख कर काफी अच्छा लगा, उनसे हमने आशीर्वाद लिया। मुस्कुराते हुए अपना नाम विजय सिंह तेवटिया बताया और कहा मैं अक्सर ट्रेन में और जब फ्री होता हूं, तो किताबें जरूर पढ़ता हूंl मुझे सुकुन और खुशी मिलती हैl
काश आज की युवा और विद्यार्थी इन्हीं की तरह मोबाइल के साथ कोई किताब अपने हाथ में रखे उसको पढ़े।
उनमें लिखी हुई बातों को जेहन में रखकर जीवन निर्माण में जरूरत पड़ने पर काम में लेंl यह अनुपम उदाहरण है कि जब पूरी दुनिया मोबाइल में खोई हुई रहती है, उस वक्त एक खास पीढ़ी के लोग किताबों के पन्नों में अपना सुकून और खुशियों को ढूंढ रहे होते हैंl
बड़े आनंद से, बड़े तसल्ली से एक टेबल पर किताब को पढ़ रहे थेl
एक दौर था जब अधिकतर गुरुजनों और विद्यार्थियों के हाथों में किताबें हुआ करती थीl मोबाइल युग में सब कुछ बदल दियाl बहुत अच्छी बात है कि हम आधुनिकता में टेक्नोलॉजी के साथ जुड़ रहे हैंl पर जो किताबों का आनंद था, वह मोबाइल में कहाँ?
उम्मीद के साथ कि कोई एक व्यक्ति इसको फैशन के रूप में ही सही, किताब के प्रति दोस्ती का भाव जरूर पैदा करेगाl

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