अधर बावरे जिह्वा पागल
- डॉ देवेंद्र तोमर
- Jul 4
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Updated: Jul 4
डॉ देवेंद्र तोमर
अधर बावरे जिह्वा पागल
कहने को कुछ भी कह जाऍं
तुम्हीं कहो क्या कह सकता हूँ
तुमसे मुझको प्यार नहीं है।
एक नहीं अनगिन मौकों पर
मुझे तुम्हारा प्यार मिला है।
मान मनव्वल पाया तुमसे
मनचाहा मनुहार मिला है।
रुठा हुआ मनाया तुमने
अपने हृदय लगाया तुमने।
तुम्हीं कहो क्या कह सकता हूँ
मुझ पर कुछ उपकार नहीं है।
तुम्हीं कहो क्या कह सकता हूँ
तुमसे मुझको प्यार नहीं है।
कर्तव्यों की कदम कदम पर
लाज रखी है तुमने मन से।
इतना किया भरोसा मुझ पर
जितना ऑंखों को दरपन से।
मेरे हाथों माँग भराई
बेंदी अपने भाल सजायी।
तुम्हीं कहो क्या कह सकता हूँ
मुझ पर कुछ अधिकार नहीं है।
तुम्हीं कहो क्या कह सकता हूँ
तुमसे मुझको प्यार नहीं है।
मेरे अपने नासूरों पर
मरहम नेह लगाया तुमने।
जब भी और जहाँ भी देखा
बिखरा हुआ सजाया तुमने।
क्षण भर को भी रहा न रोगी
सारी पीड़ा तुमने भोगी।
तुम्हीं कहो क्या कह सकता हूँ
मुझ पर कुछ उपचार नहीं है।
तुम्हीं कहो क्या कह सकता हूँ
तुमसे मुझको प्यार नहीं है।
अधर बावरे जिह्वा पागल
कहने को कुछ भी कह जाऍं
तुम्हीं कहो क्या कह सकता हूँ
तुमसे मुझको प्यार नहीं है।
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