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कर्म ही अपने

रमेश चंद्र चंदेल


सीता के रखवाले राम थे
जब हरण हुआ तब कोई नहीं
द्रोपदी के पांच पांडव थे
जब चीर हरा तब कोई नहीं
दशरथ के चार दुलारे थे
जब प्राण तजे तब कोई नहीं
रावण भी शक्तिशाली थे
जब लंका जली तब कोई नहीं
श्री कृष्ण सुदर्शनधारी थे
जब तीर लगा तब कोई नहीं
लक्ष्मण भी भारी योद्धा थे
जब शक्ति लगी तब कोई नहीं
सरसैया पर पड़े पितामह
पीड़ा का सांक्षी कोई नहीं
अभिमन्यु राज दुलारे थे
पर चक्रव्यूह में कोई नहीं
सच यही है दुनिया वालों
संसार में अपना कोई नहीं
जो लेख लिखे हमारे कर्मों ने
उस लेख के आगे कोई नहीं।

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