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किसान की चतुराई

डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव

रहमत नगर में माधो नाम का एक किसान रहता था। उसके पास कई सारे खेत थे। लेकिन, उसका खेत पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण वहाँ सिंचाई के लिए नदी का पानी नहीं पहुँच पाता था। जिसके कारण उसे बारिश पर निर्भर रहना पड़ता था। कभी-कभी बारिश न होने की वजह से उसके खेतों में लगी फसल सूख जाती थी।
माधो अक्सर सोचा करता कि वह अपने उन खेतों को बेचकर कही अच्छी और उपजाऊ खेत खरीद ले। लेकिन, उसके खेतों की कोई अच्छी कीमत नहीं दे रहा था। एक दिन माधो अपने खेतों को देखकर वापस घर को जा रहा था। बीच रास्ते में उसने एक खेत में एक बौने को खोदाई करते हुए देखा। उसने बौने से पूछा क्यों भाई! यहाँ पर खोदाई क्यों कर रहे हो। बौना बहुत चालाक था।
उसने एक पोटली में कुछ कंकड़ डालकर एक सोने का सिक्का डाल दिया था। बौना उस पोटली को किसान को दिखाते हुए कहा – “इस पूरे खेत में इस तरह की बहुत सारी पोटली हैं। किसान को लालच आ गया। उसने बौने से कहा – “इस रहस्य के बारें में अब मुझे भी पता हो गया हैं तो अब इस खजाने का हकदार मैं भी हूँ।
बौने ने कहा – हाँ, हाँ क्यों नहीं इसके पहले कोई तीसरा व्यक्ति आए हम दोनों पूरे खेत की जुताई करके सिक्कों की पोटली को निकल लेते हैं। बौने और किसान मिलकर पूरे खेत की जुताई कर लिए। लेकिन, उन्हें कुछ नहीं मिला। दरअसल, बौना बहुत आलसी था। वह अपना काम अकेले नहीं करना चाहता था।
किसान बुद्धिमान और चतुर था। वह बौने की सारी चतुराई समझ गया। उसने बौने से कहा – तुम्हारी गलती की भरपाई करने के लिए तुम्हें कुछ दंड भोगना पड़ेगा। अगले दो वर्षों तक जो कुछ तुम्हारे खेत में लगाया जाएगा उसका आधा हिस्सा मेरा होगा। बौना बोल – “मुझे मंजूर हैं मगर जमीन के ऊपर जो उगेगा वह सब मेरा होगा और जमीन के नीचे जो कुछ उगेगा वह तुम्हारा होगा।
किसान उसकी बात से सहमत हो गया। उसने कहा - “लेकिन, फसल मैं उगाऊँगा।” बौना बहुत आलसी था। उसने हाँ कर दी। किसान अगले दो साल तक जमीन के अंदर होने वाले फसल आलू, गाजर और मोमफ़ली लगाई। फसल कटने के बाद बौने को सिर्फ पत्ते मिलते थे। जबकि किसान को अच्छे फसल मिलती थी। इस तरह से किसान ने बौने को सबक सीखा दिया। बौना लालच और आलस की वजह से कही का नहीं हुआ।
सीख : लालची और आलसी व्यक्ति को हर जगह धोखा ही मिलता हैं।

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