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छोटी बहू

अनामिका तिवारी

मेरी एक सहेली है। उसका नाम मिताली है। मैं अक्सर उसके घर जाया करती। मैं देखती कि उसकी छोटी भाभी चेहरे पर एक सौम्य मुस्कान लिए बस अपने काम में लगी रहती थीं। अगर कभी फुर्सत मिली तो अपने कमरे में जाकर अकेली बैठी रहती, क्योंकि उन्हें घर का कोई सदस्य पसंद नहीं करता था। वजह उनका रंग साँवला था, और वह होमसाइंस में स्नातक थी।
मिताली के घर में सब डॉक्टर या इंजीनियर, या बड़ी प्राइवेट कंपनी में हायर पोस्ट पर थे। छोटी भाभी को मिताली के पापा ने गुण और संस्कार देखकर पसंद किया था, क्योंकि इसके पहले घर में दो बड़ी बहूए आ चुकी थी जो कि अच्छी कंपनी में काम करती थी। लेकिन उसके बाद भी घर में बहू की कमी खलती थी, क्योंकि उनमें संस्कारों की बहुत कमी थी, और वह अपने ओहदे और पैसों के घमंड में रहती थी।
मिताली के पापा चाहते थे कि घर में कोई एक सदस्य तो ऐसा हो जो पूरे परिवार को लेकर चले। कम से कम तब तक जब तक वह जीवित है, इसीलिए वह छोटी बहू बहुत सोच समझ कर लाये थे। लेकिन फिर भी सब की सोच एक जैसी नहीं होती इसलिए उन्हें कोई पसंद नहीं करता था।
एक दिन की बात है, उनके घर कुछ मेहमान आए उनके साथ आए एक छोटे बच्चे से कांच का गिलास गिरकर टूट गया, और उसके बारीक टुकडे पूरे फर्श पर फैल गए।

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