डर के आगे जीत
- डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
- Mar 28
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डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया। तभी उसने देखा कि एक शेर बहुत तेजी से उसकी तरफ आ रहा है। कुत्ते की सांस रूक गयी औऱ उसने मन ही मन सोचा, "आज तो काम तमाम मेरा..!" तभी फिर अचानक उसने अपने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखीं। वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और जोर-जोर से बोलने लगा, "वाह! शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है, एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जायेगी! " और उसने जोर से डकार मारी। कुत्ते की बात सुनकर शेर सोच में पड़ गया। उसने सोचा, "ये कुत्ता तो शेर का भी शिकार करसकता है! अपनी जान बचाकर भागने में ही भलाई है!" शेर वहां से जान बचा कर भाग गया।
पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा बहुत गौर से देख रहा था। उसने सोचा यह अच्छा मौका है। शेर को सारी कहानी बता देता हूँ। शेर से दोस्ती भी हो जायेगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा भी दूर हो जाएगा। वो फटाफट शेर के पीछे भागा। कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि जरुर कोई साज़िश करने वाला है, यह बंदर।
उधर बन्दर ने शेर को सारी कहानी बता दी कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है। शेर जोर से दहाड़ा,
"चल मेरे साथ, अभी उसकी जीवन लीला समाप्त करता हूँ" और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ चल दिया।
कुत्ते ने शेर को अपनी तरफ आते देखा तो उसे महसूस हुआ कि एक बार फिर उसकी जान को ख़तरा है।
मगर फिर भी वह हिम्मत कर उन दोनों की तरफ अपनी पीठ करके बैठ गया और जोर-जोर से चिल्लाकर बोलने लगा, "साला, इस बन्दर को भेजे दो घंटे हो गए, कमीना अब तक एक शेर को फंसा कर नहीं ला सका, बहुत जोर की भूख लगी है!" यह सुनते ही शेर ने बंदर को वहीं पटका और वापस पीछे खूब तेज़ भाग गया।
इसलिए मुश्किल समय में अपना आत्मविश्वास कभी नहीं खोएं, आपकी ऊर्जा, समय और ध्यान भटकाने वाले कई बन्दर आपके आस-पास हैं, उन्हें पहचानिए और उनसे सावधान रहिये। याद रखिए, डर के आगे जीत है।
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