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नतीज़ा

घर की इकलौती बहू होने के कारण सलोनी को घर के सभी सदस्य बहुत मानते थे और उसकी हर फरमाइश को पूरा भी करते थे। उसकी हर छोटी-बड़ी जरूरत को उसके कहने से पहले ही पूरा कर दिया जाता था। घर के हर फैसले में उसी की राय ली जाती थी और उसके हर फैसले का दिल से स्वागत भी किया जाता था। पढ़ी लिखी होने के साथ-साथ सलोनी रूपवती भी थी, इस बात का सलोनी को घमंड भी था। घर के सभी सदस्य उसके चारों तरफ घूमते रहते थे, सलोनी इस बात का नाजायज फायदा उठाने से कभी नहीं चूकती थी। परंतु, घर वालों को कभी यह एहसास ही नहीं हुआ कि सलोनी के मन में इस प्रकार के भाव भी हैं। वे तो केवल सलोनी के बारे में अच्छा ही सोचते थे।
पुत्र शाश्वत के जन्म के पश्चात तो सलोनी के भाव और भी ऊंचे हो गए और अब वह घर में किसी को कुछ नहीं समझती थी, परंतु फिर भी ससुराल वाले उसे सिर माथे पर बिठाते और उसकी हर इच्छा पूरी करते थे।
धीरे-धीरे शाश्वत बड़ा होने लगा और उसके भीतर भी मां के गुण दिखाई देने लगे। घर का इकलौता बच्चा और साथ ही साथ अकेला वारिस होने के कारण शाश्वत बहुत जिद्दी हो गया था। उसके दादा-दादी उसे अच्छा और एक बेहतरीन इंसान बनाने की हर संभव कोशिश करते थे और कभी-कभी जानबूझकर उसकी जिद पूरी नहीं करते थे क्योंकि वे चाहते थे कि शाश्वत जीवन की हकीकत का सामना करना सीखें और चुनौतियों से घबराए नहीं। परंतु, सलोनी को यह बात बहुत अखरती थी और वह सब से छुपकर शाश्वत की सभी गलत सही मांगे पूरी करती थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शाश्वत कई गलत आदतों का शिकार हो गया।
पुत्र की ममता में अंधी सलोनी उसकी उन आदतों से अनभिज्ञ थी। समय बीतने के साथ-साथ अब शाश्वत की संगत कुछ गलत लोगों के साथ हो गई और वह कुछ असामाजिक कार्यों में भी संलिप्त हो गया। उसके इन कामों की जानकारी घरवालों को उस वक्त मिली जब घर में पुलिस आई और शाश्वत के बारे में पूछताछ करने लगी। घर के सभी सदस्य अवाक रह गए। सलोनी के पैरों तले तो मानों जैसे जमीन ही खिसक गई। पुलिस ने बताया कि शाश्वत दूसरे शहर में चोरी करके भागा है, यह सुनकर सलोनी को चक्कर आ गया और वह गिर पड़ी। घर वालों ने उसे जैसे-तैसे संभाला। होश आने पर सलोनी ने शाश्वत से पूछा कि घर में सब कुछ होने के बावजूद आखिर उसे चोरी करने की आवश्यकता पड़ी ही क्यों। उसका जवाब सुनकर सलोनी स्तब्ध रह गई।
शाश्वत ने जवाब दिया कि घर में सबसे पैसे मांग-मांग कर वह थक चुका था और वह अब जिंदगी को अपने दम पर जीना चाहता था। उसने घर वालों के सामने खुलासा किया कि वह रोज-रोज घर में किसी के सामने हाथ फैलाना सही नहीं समझता था इसलिए उसने कम समय में अधिक पाने की लालसा की वजह से अपने कुछ नामी गिरामी दोस्तों के साथ चोरी करना शुरू किया।
अब तक सलोनी को समझ आ चुका था कि बच्चे की हर सही गलत ज़िद को पूरा करने का नतीजा इस हद तक खतरनाक भी हो सकता है।

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