काफी देर बेल बजने के बाद अंजलि ने बड़े बेमन से जाकर दरवाजा खोला। शेखर घर में इंटर होते ही सोफे पर जाकर बैठ गए। सुबह की घटना चलचित्र की भाँति दिमाग में चलने लगी। शेखर की गलती सिर्फ इतनी थी कि अंजलि की सहेली सिखा को अपने घर आने के लिए मना कर दिया था। क्योंकि उसे लगता था कि पड़ोसियों की बातें आकर के शेयर करती हैं। जिससे अंजली सुनकर व्यथित होती है और उसके ऊपर बुरा असर पड़ रहा है। इसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हो गई थी।
बात इतनी बढ़ गई थी कि अंजलि ने मायके जाने का निर्णय ले लिया। शेखर कुछ नहीं बोला और ऑफिस निकल गया था। घर पर अंजली अपनी तैयारी पूरी कर चुकी थी। शेखर ने बहुत मनाने की कोशिश की पर अंजली नहीं मानी और जाने लगी। शेखर ने बोला अगर तुम नहीं मानती हो तो कोई बात नहीं, कहीं भी जाते समय बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। तुम जाओ और माता पिता का आशीर्वाद ले लो। मैं तब तक गाड़ी निकालता हूं।