सच्चे दिलदार
- जितेंद्र यादव
- Feb 5
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जितेंद्र यादव
आठ साल पहले की बात है। मेरी गर्लफ्रेंड नैना ने मुझे छोड़ दिया था। मैं उस वक्त नया-नया ग्रेजुएट होकर निकला था। मुझे पता चला कि नैना ने मुझे छोड़कर एक अमीर एनआरआई से शादी कर ली। वह बहुत धनी था- दिल्ली में उसके रेस्टोरेंट, पाँच-छह पेट्रोल पंप थे, और कई गाड़ियाँ थीं। इसी कारण से नैना ने उससे शादी कर ली। यह जानकर मैं बुरी तरह टूट गया था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। मैं शराब पीने लगा, सिगरेट पीने लगा।
कुछ समय बाद मैं मुंबई शिफ्ट हो गया और वहाँ एक नौकरी करने लगा। मेरी आदतें और भी बिगड़ती चली गईं। मैं लेडीज़ बार में जाने लगा, और मेरी शराब और सिगरेट की लत बढ़ती गई। बचपन में मेरी सिर्फ माता थीं, जो कि मेरे आठवीं कक्षा में रहने के दौरान गुजर गई थीं। मेरा पालन-पोषण मेरे दादा-दादी ने किया था। इस वक्त मैं बिल्कुल अकेला पड़ गया था और समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। मेरी आदतें बद से बदतर होती जा रही थीं।
फिर मैं कभी-कभी अपने मन को शांत करने के लिए एस्कॉर्ट्स की सेवा लेने लगा। एक दिन जब मैं सुबह उठा, तो देखा कि वह लड़की कमरे की सफाई कर रही थी। मैंने उससे पूछा, "तुम क्या कर रही हो?" उसने कहा, "यहाँ सब गंदा पड़ा हुआ था, तो मैंने सोचा साफ़ कर देती हूँ।" न जाने क्यों, मुझे अजीब सा लगने लगा। उसने खाना भी बनाया। उसके बाद मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया। शाम को लौटते समय मैं उसके बारे में ही सोचता रहा।
रात में भी मैं उसके बारे में ही सोचता रहा। अगले दिन मैंने उसी एजेंट को फोन करके उसी लड़की को दोबारा भेजने को कहा। जब वह आई, तो मुझे देखकर मुस्कुराई। उस दिन मेरा उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का मन नहीं था। मैं उसके साथ अपना अकेलापन बांटना चाहता था, उससे बातें करना चाहता था, अपना मन हल्का करना चाहता था। उस रात हमने एक मूवी देखी, और सारी रात एक-दूसरे के साथ लेटे रहे, लेकिन शारीरिक संबंध नहीं बनाए। उसके चेहरे पर एक चिंता की लकीर थी, जिसे उसने मुझसे नहीं बताया, लेकिन मैंने महसूस किया।
धीरे-धीरे मेरा उसके प्रति लगाव बढ़ने लगा। मैंने उससे उसका नंबर माँग लिया। अगले रविवार को मैंने उसे फोन किया, "क्या तुम आज फ्री हो? अगर फ्री हो तो हम मूवी देखने चलें?" मैं उसके साथ मूवी देखने गया। इस तरह हम लोग हर रविवार मिलने लगे। उसके साथ मिलते-मिलते मेरी आदतों में काफी सुधार होने लगा। मेरी शराब और सिगरेट की लत लगभग 60-70% कम हो गई। मेरा बिखरा हुआ कमरा अब साफ़-सुथरा और रहने लायक दिखने लगा।
एक दिन हम मरीन ड्राइव पर बैठे थे। उसने मेरे कंधे पर सिर रखा हुआ था और अचानक से रोने लगी। मुझसे कहने लगी, "मैं ऐसी ज़िंदगी नहीं जीना चाहती। मैं उस जगह वापस नहीं जाना चाहती। मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे सच्चे दिल से प्यार करे, जिसके साथ मैं जीवन बिता सकूँ।" उसकी यह बात सुनकर मैं अंदर तक हिल गया, क्योंकि यह वही शब्द थे जो कुछ समय पहले नैना ने मुझसे कहे थे।
उस शाम हमने साथ समय बिताया। अगले दिन से मैंने उसका फोन उठाना बंद कर दिया, उसके मैसेज का जवाब देना बंद कर दिया। उसने कई बार कॉल किया, लेकिन मैंने उससे बात नहीं की। मैं डर रहा था कि कहीं फिर से मेरा दिल न टूट जाए, जैसे नैना ने किया था। मैं इस बात से भयभीत था।
फिर अगले रविवार को वह मेरे घर आई और मुझ पर गुस्सा करने लगी। लेकिन फिर मैंने उसे सब कुछ बताया। हम दोनों ने साथ बैठकर बातें कीं, एक-दूसरे के कंधे पर सिर रखकर काफी देर तक रोते रहे। कुछ दिन बाद मैंने उससे शादी करके पुणे में शिफ्ट होने का निर्णय लिया। आज हम दोनों एक साथ काफी खुश हैं।
आखिर में मैं कहना चाहूँगा कि इस बात से फ़र्क नहीं पड़ता कि किसी का अतीत कैसा था। फ़र्क इस बात से पड़ता है कि वर्तमान में आप दोनों एक-दूसरे के प्रति कितने ईमानदार हैं और आपके बीच कितना प्रेम और सम्मान है। इंसान हर बार ग़लत नहीं होता; कभी-कभी मजबूरियाँ उसे ग़लत रास्ते पर ले जाती हैं।
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