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स्वच्छता

रंजन कुमार

एक किसान ने एक बिल्ली पाल रखी थी। सफेद कोमल बालों वाली बिल्ली किसान की खाटपर ही रात को उसके पैर के पास सो जाती थी। किसान जब खेत पर से घर आता तो बिल्ली उसके पास दौड़कर जाती और उसके पैरों से अपना शरीर रगड़ती, म्याऊँ-म्याऊँ करके प्यार दिखलाती। किसान अपनी बिल्ली को थोड़ा-सा दूध और रोटी देता था।
एक दिन शाम को किसान के लड़के ने अपने पिता से कहा – ‘पिताजी! आज रात को मैं आपके साथ सोऊंगा।’
किसान बोला – ‘नहीं। तुम्हें अलग खाटपर सोना चाहिये।’
लड़का कहने लगा – ‘आप बिल्ली को तो अपनी खाटपर सोने देते हैं, परंतु मुझे क्यों नहीं सोने देते?’
किसान ने कहा – ‘तुम्हें खुजली हुई है। तुम्हारे साथ सोने से मुझे भी खुजली हो जायगी। पहले तुम अपनी खुजली अच्छी होने दो।’
लड़का खुजली से बहुत तंग था। उसके पुरे शरीर में छोटे-छोटे फोड़े-जैसे हो रहे थे। खाज के मारे वह बेचैन रहता था। उसने अपने पिता से कहा – ‘यह खुजली मुझे ही क्यों हुई है? इस बिल्ली को क्यों नहीं हुई?’
किसान बोला – ‘कल सबेरे तुम्हें मैं यह बात बताऊंगा।’
दूसरे दिन सबेरे किसान ने बिल्ली को कुछ अधिक दूध और रोटी दी, लेकिन जब बिल्ली का पेट भर गया, वह दूध-रोटी छोड़कर दूर चली गयी और धूप में बैठकर बार-बार अपना एक पैर चाटकर अपने मुँह पर फिराने लगी।
किसान ने अपने लड़के को वहाँ बुलाया और बोला – ‘देखो, बिल्ली कैसे अपना मुँह धो रही है। यह इसी प्रकार अपना सब शरीर स्वच्छ रखती है। इसी से इसे खुजली नहीं होती। तुम अपने कपड़े और शरीर को मैला रखते हो, इससे तुम्हें खुजली हुई है। मैल में एक प्रकार का विष होता है। वह पसीने के साथ जब शरीर के चमड़े में लगता है और भीतर जाता है, तब खुजली, फोड़े और दूसरे भी कई रोग हो जाते हैं।’
लड़के ने कहा – ‘मैं आज अपने सब कपड़े गरम पानी में उबालकर धोऊंगा। बिस्तर और चद्दर भी धोऊंगा। खून नहाऊँगा। पिताजी! इससे मेरी खुजली दूर हो जायगी।’
किसान ने बताया – ‘शरीर के साथ पेट भी स्वच्छ रखना चाहिये। देखो, बिल्ली का पेट भर गया तो उसने दूध भी छोड़ दिया। पेट भर जाने पर फिर नहीं खाना चाहिये। ऐसी वस्तुएँ भी नहीं खानी चाहिये, जिनसे पेट में गड़बड़ी हो। मिर्च, खटाई, बाजार की चाट, अधिक मिठाइयाँ खाने और चाप पीने से पेट में गड़बड़ी हो जाती है। इससे पेट साफ़ नहीं रहता। पेट साफ न रहे तो बहुत-से रोग होते हैं। बुखार भी पेट की गड़बड़ी से आता है। जो लोग जीभ के जरा-से स्वाद के लिये बिना भूख ज्यादा खा लेते हैं अथवा मिठाई, घी में तली हुई चीजें, दही-बड़े आदि बार-बार खाते रहते हैं, उनको एक खुजली ही क्यों और भी तरह-तरह की बीमारियाँ हो जाती हैं। पेट साफ रखने के लिये चोकर-मिले आटे की रोटी, हरी सब्जी तथा मौसमी, सस्ते फल अधिक खाने चाहिये।’
किसान के लड़के ने उस दिन से अपने कपड़े स्वच्छ रखने आरम्भ कर दिये। वह रोज शरीर रगड़कर स्नान करता है। वह इस बात का ध्यान रखता है कि ज्यादा न खाय तथा कोई ऐसी वस्तु न खाय, जिससे पेट में गड़बड़ी हो। उसकी खुजली अच्छी हो गयी है। वह चुस्त शरीर का तगड़ा और बलवान् हो गया है। उसके पिता और दूसरे लोग भी अब उसे बड़े प्रेम से अपने पास बैठाते हैं।

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