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पिता....
पिता.... तुम और मैं पति पत्नी थे, तुम माँ बन गईं मैं पिता रह गया। तुमने घर सम्भाला, मैंने कमाई, लेकिन तुम "माँ के हाथ का खाना" बन गई, मैं...
Rachnakunj .
Sep 24, 20231 min read


गीत नहीं गाता हूँ।
अटल बिहारी वाजपेयी बेनक़ाब चेहरे हैं, दाग़ बड़े गहरे हैं टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ गीत नहीं गाता हूँ। लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा...
Rachnakunj .
Sep 19, 20231 min read


दुख
विपिन बंसल सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! दुख भला हो तेरा ! जो पत्थर बन गया हीरा !! सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना...
Rachnakunj .
Sep 17, 20231 min read


तलाक
बालक राम त्रिवेदी पति पत्नी दोनों डाक्टर थे। पत्नी ने तलाक़ का मुकदमा दायर कर दिया था। फैमिली कोर्ट में फैसले से एक दिन पूर्व जज ने, एक...
Rachnakunj .
Sep 17, 20233 min read


नयी कोपल
सविता पाटील कभी किसी में अपना ही अक्स दिख जाता है। जो तुम्हारे जैसा ही सोचता है। तुम्हारे जैसा ही किसी वृतांत को देखता है, समझता है। फिर...
Rachnakunj .
Sep 14, 20231 min read


ईश्वर के करम
डॉ. रश्मि दुबे भटकते हुए कारवां अक्सर दरबदर नहीं होते। सब के नसीब में खुदा रहने को घर नहीं होते। ग़ुरबत में जीते जो दुनिया से बेखबर नहीं...
Rachnakunj .
Sep 11, 20231 min read


जग का मेला
सत्येंद्र तिवारी जग का मेला लगा रहेगा लगा रहेगा आना-जाना यही सत्य हमने पहचाना। ठगे गए सब इस मेले में, जाने कौन यहां ठगता है सब को ठगने...
Rachnakunj .
Sep 4, 20231 min read


आओ फिर से दिया जलाएँ
अटल बिहारी वाजपेयी आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अँधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें- बुझी हुई बाती सुलगाएँ। आओ फिर...
Rachnakunj .
Aug 29, 20231 min read


कुछ सवाल
मधु मधुमन रीत कैसी ये जग में चलाई गयी, नातवां पर ही उँगली उठाई गई, भूल बेटे भी करते हैं अक्सर तो फिर, क्यूँ बहू ही हमेशा सताई गयी। एक...
Rachnakunj .
Aug 16, 20231 min read


नीली चिड़िया
अंकिता शाम्भवी कई बार तुम्हें पढ़ते हुए मैं ख़यालों के समंदर में डूबने-उतराने लगती हूँ जब बिल्कुल डूबने को होती हूँ— तुम्हारी कविताएँ मुझे...
Rachnakunj .
Aug 15, 20232 min read


भ्रम
आचार्य जहान भ्रम का भ्रम ही रहना भला है। कुछ न होने से कुछ होना भला है। भ्रम टूटा तो टूटेगी और सरहदें बिखर जाएंगे तेरे सपने दूर हो जाएंगे...
Rachnakunj .
Aug 9, 20231 min read


अहमक
मधु मधुमन पहले ख़ुद बेकली ढूँढते हैं। फिर सुकूं की घड़ी ढूँढते हैं। बख़्त में ही न हो शय जो अपने हम वही, बस वही ढूँढते हैं। जाने क्या हो...
Rachnakunj .
Aug 3, 20231 min read


ग़ज़ल
कुसुम शर्मा ये चाँदी की सी चमकीली हवाएं चली हैं आज बर्फ़ीली हवाएं बहे अश्क़ों के दरिया हैं कहीं पर नमी से हो रहीं गीली हवाएं असर ये...
Rachnakunj .
Jul 29, 20231 min read


कर्म ही अपने
रमेश चंद्र चंदेल सीता के रखवाले राम थे जब हरण हुआ तब कोई नहीं द्रोपदी के पांच पांडव थे जब चीर हरा तब कोई नहीं दशरथ के चार दुलारे थे जब...
Rachnakunj .
Jul 24, 20231 min read


मेरी कलम से…
ममता सिन्हा मैं उतरन उतराई थी! पीड़ित मन सकुचाई थी!! लड़की आने से नाखुश, कुपित हमारी माई थी!! पढ़ मत ज्यादा कहती थी! डाँट डपटती रहती थी!!...
Rachnakunj .
Jul 16, 20231 min read


बीते वक्त की बहार
डॉ. जहान सिंह “जहान” यूं तो चलन से बाहर हूं, पर बीते वक्त की बहार हूं, यह सोचना गलत है कि मैं बेकार हूं आज भी पहली कतार में बैठा हुआ,...
Rachnakunj .
Jul 9, 20231 min read


बरगद का पेड़
अनजान मैं उस हरकारे के बच्चों को भी उसी समय से देख रहा था जिस समय से मैं उस बरगद के पेड़ को देखा करता था पेड़ के आसपास और भी लत्तरें थींl...
Rachnakunj .
Jul 4, 20232 min read


आत्महत्या
पूनम जो छोड़कर जा रहा हो, उसे खुशी से जाने दो, रोकना ना कभी, हो सकता है ऊपर वाले ने, तुम्हारे लिए, कुछ और बेहतर सोच रखा हो। आदतें जो लगी...
Rachnakunj .
Jun 24, 20231 min read


मेरी कोई जायदाद नहीं
अनजान तन्हा बैठा था एक दिन मैं अपने मकान में, चिड़िया बना रही थी घोंसला रोशनदान में। पल भर में आती पल भर में जाती थी वो। छोटे-छोटे तिनके...
Rachnakunj .
Jun 20, 20231 min read


मन बच्चा
वीना उदय मन फिर-फिर बच्चा हो जाता है। जब 80 साल की बुजुर्ग पिता को अपनी चिंता करता पाता है। बूढ़ी सशक्त हड्डियां सारी ताकत समेट जब पूरे...
Rachnakunj .
Jun 19, 20231 min read