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असफलता से न डरें

डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव

"असफलता" – एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही हमारे मन में नकारात्मक भावनाएँ उमड़ने लगती हैं। डर, निराशा, संदेह, हताशा – यह सब कुछ एक ही शब्द के साथ जुड़ा होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यही असफलता हमारे जीवन की सबसे बड़ी शिक्षक हो सकती है? यदि हम असफलता से डरें नहीं, बल्कि उससे कुछ सीखें, तो वह हमारे जीवन की दिशा बदल सकती है। आइए हम जानेंगे कि असफलता क्यों ज़रूरी है, इससे डरना क्यों नहीं चाहिए, और हम इसे कैसे अपनी सफलता की सीढ़ी बना सकते हैं।
·         असफलता जीवन का हिस्सा है
कोई भी व्यक्ति जन्म से सफल नहीं होता। बचपन में जब हम चलना सीखते हैं, तो कितनी बार गिरते हैं? क्या हम उस गिरने से डर कर चलना बंद कर देते हैं? नहीं! हम फिर उठते हैं, फिर गिरते हैं, और धीरे-धीरे चलना सीख जाते हैं। यही प्रक्रिया जीवन भर चलती है। सफलता की राह में बार-बार गिरना यानी असफल होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
असफलता एक संकेत है कि आप प्रयास कर रहे हैं। जो लोग कुछ नहीं करते, उन्हें कभी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता। इसलिए असफलता का आना यह सिद्ध करता है कि आप प्रयासरत हैं, और एक दिन सफलता निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी।
·         असफलता से डरना क्यों गलत है?
असफलता से डरना दरअसल खुद पर विश्वास न होने का संकेत है। डर हमें प्रयास करने से रोकता है, हमारे आत्म-विश्वास को कमजोर करता है और हमें हमारी क्षमताओं पर संदेह करने को मजबूर करता है।
अगर थॉमस एडिसन अपने हजारों प्रयोगों में मिली असफलताओं से डर जाते, तो क्या आज हमारे पास बिजली का बल्ब होता? अगर महात्मा गांधी पहले ही आंदोलन में असफल होकर डर जाते, तो क्या हमें स्वतंत्रता मिलती? अगर डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम अपनी कठिनाइयों से घबरा जाते, तो क्या वे भारत के ‘मिसाइल मैन’ और राष्ट्रपति बन पाते?
हर महान व्यक्ति ने असफलता का सामना किया है, लेकिन उन्होंने उससे डरने के बजाय, उससे सबक लिया और आगे बढ़ते गए।
·         असफलता से क्या सीख मिलती है?
असफलता हमें हमारी कमियों से अवगत कराती है। यह हमें बताती है कि कहाँ सुधार की ज़रूरत है, किस दिशा में मेहनत करनी है और क्या रणनीति अपनानी है। असफलता हमें खुद को समझने का मौका देती है। हम सोचते हैं कि हमने कहाँ गलती की और उसे कैसे सुधार सकते हैं। लगातार प्रयास करते रहने से हमारे अंदर सहनशक्ति और धैर्य विकसित होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में लाभकारी होता है।
जब हम बार-बार असफल होते हैं, तो हमें नया सोचने की प्रेरणा मिलती है। हम समस्याओं का समाधान नए तरीके से ढूँढने लगते हैं। सफलता के शिखर पर पहुँचने से पहले असफलता का अनुभव व्यक्ति को विनम्र बनाता है और दूसरों की मेहनत का सम्मान करना सिखाता है।
·         असफलता को अपनाएँ – सफलता आपका इंतजार कर रही है
जब तक हम असफलता को अपने जीवन का शत्रु मानते रहेंगे, तब तक सफलता हमारे लिए एक सपना बनी रहेगी। लेकिन जैसे ही हम असफलता को एक मार्गदर्शक, एक मार्ग-संकेतक के रूप में स्वीकार करते हैं, वैसे ही हम सफलता के और करीब पहुँच जाते हैं।
जापान में एक कहावत है – "गिरो सात बार, उठो आठ बार।" यही असली सफलता की कुंजी है। गिरना गलत नहीं है, लेकिन गिर कर न उठना गलत है।
·         युवाओं के लिए विशेष संदेश
आज के युवा वर्ग को असफलता से बेहद डर लगता है – चाहे वह परीक्षा में कम अंक हों, नौकरी का इंटरव्यू हो, या अपने सपनों का स्टार्टअप हो। समाज का दबाव, माता-पिता की अपेक्षाएँ और खुद की असुरक्षा भावनाएँ उन्हें भीतर से तोड़ देती हैं।
लेकिन आपको समझना होगा – असफल होना आपके प्रयासों का हिस्सा है। जब आप एक परीक्षा में असफल होते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि आप जीवन में असफल हैं। यह केवल एक पड़ाव है, न कि अंत।
युवाओं को चाहिए कि वे असफलताओं को स्वीकारें, उससे सीखें और फिर पूरे आत्मबल के साथ नए प्रयास में लग जाएँ।
·         असफलता से कैसे न डरें? (कुछ उपयोगी सुझाव)
ü  सोच बदलें: असफलता को 'अंत' न समझें, बल्कि उसे 'आरंभ' मानें।
ü  विचार साझा करें: अपने डर को अपने दोस्तों, परिवार या मेंटर के साथ साझा करें। जब हम बोलते हैं, तो डर कमजोर होता है।
ü  छोटे लक्ष्य बनाएँ: एकदम बड़ी सफलता की चाह से पहले छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें पूरा करें।
ü  प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ें: सफल लोगों की जीवनी पढ़ें और जानें कि कैसे उन्होंने असफलताओं को पार किया।
ü  स्वस्थ मानसिकता बनाए रखें: ध्यान, योग, और सकारात्मक सोच आपके मन को मजबूत बनाएंगे।
असफलता से डरने की जरूरत नहीं, उसे अपनाने की जरूरत है। जो असफलता से नहीं डरता, वही जीवन में सच्ची सफलता का स्वाद चखता है। याद रखिए – "असफलता अंत नहीं है, यह तो शुरुआत है – एक नए प्रयास, एक नई सीख और एक नई सफलता की।"
तो आइए, आज एक संकल्प लें कि हम असफलता से नहीं डरेंगे, बल्कि उसे गले लगाकर, उससे सीखकर, जीवन में आगे बढ़ेंगे। क्योंकि अंत में वही जीतता है – जो डरकर नहीं, लड़कर चलता है।
"ठोकरें खाकर न गिरो तुम,
क्योंकि गिरकर उठने वालों की ही पहचान होती है।
मत डर असफलता से ए दोस्त,
यही तो तेरी सफलता की पहली उड़ान होती है।"

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