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प्रेम या आकर्षण
प्रांजुल अवस्थी मेहंदी का कार्यक्रम चल रहा था। शिखा के दोनो हाथों में उसके साजन का नाम लिखने के साथ - साथ सभी सखियां उसे, उसके होने वाले पति का नाम ले लेकर उसे छेड़ रही थीं। घर में सब रिश्तेदार रस्म रिवाजों में व्यस्त थे। तभी शिखा की मम्मी उसके पास आई और उसके सर पर प्यार से हाथ रखा। आंखों में आंसू और चेहरे पर मुस्कान लेकर पूछा,"तू खुश तो है न बेटा.." "हां मम्मा...." बस इतना ही बोल पाई शिखा बेटी के माथे को चूमकर शिखा की मां भी अपने कामों में लग गई। शिखा अपने मम्मी-पापा की इ
प्रांजुल अवस्थी
Dec 98 min read


मां का घर
सविता देवी एक दिन मैंने अपने पति के साथ झगड़े वाली सारी बातें अपने भाई को बता दी तो भाई ने कहा कि एक काम करो तुम कुछ दिनों के लिए हमारे घर आ जाओ...!! जब तुम दोंनो कुछ दिन एक दूसरे से अलग रहोगे तो तुम दोंनो को एक दूसरे की कमी का एहसास होगा...!! फिर मैं कुछ दिनों के लिए पति का घर छोड़कर भाई के घर आ गई... हालांकि मेरा भाई बहुत अच्छा है मुझे बहुत प्यार भी करता है पर कहते हैं न कि भाई चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो परन्तू...!! अगर कोई काम भाभी की मर्जी के हो तो घर का माहौल, खराब
सविता देवी
Nov 212 min read


समर्पण
स्नेह लता अग्रवाल ये कहानी है सुरभि की, जो भोपाल की रहने वाली थी। सुरभि की शादी के बाद वो अपने ससुराल ग्वालियर पहुंची। शादी की रौनक खत्म...
स्नेह लता अग्रवाल
Sep 63 min read
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