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खुद को पढ़ रहा हूँ
सन्दीप तोमर मैं बन्द कमरे में खुद को पढ़ रहा हूँगा या कि गर्मी की रात छत पर लेट महसूस रहा हूँगा तपिश तुम्हारी और ताक रहा हूँगा तारों को...
Rachnakunj .
Jan 13, 20241 min read


किस घर की बेटी
अनजान (एक कवि नदी के किनारे खड़ा था। तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था। तो तभी कवि ने उस शव से पूछा ----) कौन हो तुम...
Rachnakunj .
Jan 6, 20241 min read


यादों और सौगातों में नीम
मधु मधुलिका ऐ नीम कैसे करूँ तुम्हारा वर्णन मैं कैसे बताउँ तुम्हारी उपयोगिता तुम्हारा सौन्दर्य अनुपम है सूरज भी तुम्हारे दरख्तों से झांक...
Rachnakunj .
Jan 3, 20241 min read


मेरा कवि मेरा कमाल
(एक व्यंग) डॉ. जहान सिंह “जहान” आजकल कवि क्या कमाल करते हैं। शब्दों की भीड़ शब्दों का धरना शब्दों का प्रदर्शन कर साहित्य का ट्रैफिक जाम...
Rachnakunj .
Dec 5, 20231 min read


सच की राह
मधु मधुमन ख़ामियाँ ही न गिनवाइए कुछ तो अच्छा भी बतलाइए चाहे कितनी भी हो मुश्किलें राह सच की ही अपनाइए जब किया ही नहीं कुछ ग़लत क्यूँ किसी...
Rachnakunj .
Nov 17, 20231 min read


नगाड़ों में तूती-नाद
सत्येंद्र तिवारी स्वतंत्र हो गए हैं हम स्वतंत्र हो गए, खुदगर्ज मकसद का प्रजातंत्र हो गए। हर गांव की डगर-डगर शहरों की हर गली माता-पिता बहन...
Rachnakunj .
Nov 12, 20231 min read


इंकलाब लिखता हूँ।
अमरेन्द्र मैं जो भी लिखता हूँ, इंकलाब लिखता हूँ। किसी के दुख-दर्द से, जुड़ा सवाल लिखता हूँ। मैं तो बस इतना ही, काम करता हूँ। हर अन्याय के...
Rachnakunj .
Nov 1, 20231 min read


वक़्त
नासिर कोई ताज़ा हवा चली है अभी कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी और ये चोट भी नई है अभी शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में कोई दीवार सी गिरी है अभी...
Rachnakunj .
Oct 16, 20231 min read


बरस से बातें
नमिता गुप्ता “मनसी” जाते हुए बरस से बातें, जो कभी कही नहीं गईं सुअवसर के इंतज़ार में ठिठकी रहीं कहने और न कहने के ठीक बीच के अंतराल पर,...
Rachnakunj .
Oct 15, 20231 min read


REFUGEE
Akriti Singh Class IX Allen House Public School, Ghaziabad At dawn came in sinister shadows Suddenly the world went pitch black Not a...
Rachnakunj .
Oct 13, 20231 min read


शीत ऋतु
देवेन्द्र देशज सर-सर पछुआ चल रही, रूप रखी विकराल। सूर्य संग है मित्रता, रातों संग मलाल।। कम्बल से संबल मिला, राहत देती आग। चाहत बढ़ती चाय...
Rachnakunj .
Oct 10, 20231 min read


गहरी रात
जसलीन रात हुई गहरी सी काली दूर हुई निसदिन लाली परिंदों ने पंख फड़फड़ाए नभ में भी तारे दिखलाये जुगनू निशा से बतियाते छिपते तो कभी चमचमाते...
Rachnakunj .
Oct 3, 20231 min read


क़दम मिला कर चलना होगा
अटल बिहारी वाजपेयी क़दम मिला कर चलना होगा बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,...
Rachnakunj .
Oct 1, 20231 min read


खुशी के वो पल
सविता पाटील खुशी के वो पल, ज़िन्दगी में… कुछ इस तरह से दबें रहते हैं, जैसे समंदर की गहराइओं में… खजाने छिपे रहते हैं ! हम रहते हैं...
Rachnakunj .
Sep 25, 20231 min read


पिता....
पिता.... तुम और मैं पति पत्नी थे, तुम माँ बन गईं मैं पिता रह गया। तुमने घर सम्भाला, मैंने कमाई, लेकिन तुम "माँ के हाथ का खाना" बन गई, मैं...
Rachnakunj .
Sep 24, 20231 min read


लक्ष्य
नेतराम भारती अगर-मगर की तोड़ दिवारें, चल उठ जो भी ठाना है। स्वेद-लहू की बूँद-बूँद का, फल तुझको मिल जाना है। व्योम-शिखर तक होड़ लगाते,...
Rachnakunj .
Sep 22, 20231 min read


गीत नहीं गाता हूँ।
अटल बिहारी वाजपेयी बेनक़ाब चेहरे हैं, दाग़ बड़े गहरे हैं टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ गीत नहीं गाता हूँ। लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा...
Rachnakunj .
Sep 19, 20231 min read


दुख
विपिन बंसल सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! दुख भला हो तेरा ! जो पत्थर बन गया हीरा !! सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना...
Rachnakunj .
Sep 17, 20231 min read


फूल पलाश के ले आना
सुनीता मुखर्जी "श्रुति" लौट आना फगुआ से पहले सँग फूल पलाश के ले आना बेरंग पल बीत रहे बन दुष्कर सुर्ख गुलाल बन बिखरा जाना। हर लम्हें गुजरे...
Rachnakunj .
Sep 16, 20231 min read


नयी कोपल
सविता पाटील कभी किसी में अपना ही अक्स दिख जाता है। जो तुम्हारे जैसा ही सोचता है। तुम्हारे जैसा ही किसी वृतांत को देखता है, समझता है। फिर...
Rachnakunj .
Sep 14, 20231 min read