top of page
OUR BLOGS


संयम का महत्व
अंजलि सक्सेना कहने को तो संयम बहुत ही छोटा सा शब्द है पर समझने को बहुत ही बड़ा है आज मैं आपको एक छोटी की घटना का उल्लेख कर रहा हूँ जो समझ...
अंजलि सक्सेना
Apr 201 min read


सच्चा आशिर्वाद
चन्द्र शेखर मोहन ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली थी और उसे एक सरकारी स्कूल में नौकरी भी मिल चुकी थी। बीते कुछ ही दिनों पहले एक बेहद सम्पन्न...
चन्द्र शेखर
Apr 103 min read


सच्चे रिश्ते
कर्माकर गुप्ता पूनम की डोली जब ससुराल पहुँची, तो उसके मन में अनगिनत सपने और खुशियाँ थीं। उसका पति, आदित्य, एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम...
कर्माकर गुप्ता
Mar 173 min read


परिंदे
निर्मल वर्मा अँधियारे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गई। दीवार का सहारा लेकर उसने लैंप की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बेडौल फटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नंबर कमरे से लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाज़ा खटखटाया। शोर अचानक बंद हो गया। ‘कौन है?’ लतिका चुपचाप खड़ी रही। कमरे में कुछ देर तक घुसुर-पुसुर होती रही, फिर दरवाज़े की चटखनी के खुलने का स्वर आया। लतिका कमरे की देहरी से कुछ आगे बढ़ी, लैंप की झपकती लौ में लड़कियों के चेहरे
निर्मल वर्मा
Mar 1443 min read


मेरा दुश्मन
कृष्ण बलदेव वैद वह इस समय दूसरे कमरे में बेहोश पड़ा है। आज मैंने उसकी शराब में कोई चीज़ मिला दी थी कि ख़ाली शराब वह शरबत की तरह गट-गट पी जाता है और उस पर कोई ख़ास असर नहीं होता। आँखों में लाल ढोरे-से झूलने लगते हैं, माथे की शिकनें पसीने में भीगकर दमक उठती हैं, होंठों का ज़हर और उजागर हो जाता है, और बस—होश-ओ-हवास बदस्तूर क़ायम रहते हैं। हैरान हूँ कि यह तरकीब मुझे पहले कभी क्यों नहीं सूझी। शायद सूझी भी हो, और मैंने कुछ सोचकर इसे दबा दिया हो। मैं हमेशा कुछ-न-कुछ सोचकर कई बातों
कृष्ण बलदेव वैद
Mar 315 min read


प्रायश्चित
भगवतीचरण वर्मा अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर की चाभी उसकी करधनी में लटकने लगी, नौकरों पर उसका हुक्म चलने लगा, और रामू की बहू घर में सब कुछ; सासजी ने माला ली और पूजा-पाठ में मन लगाया। लेकिन ठहरी चौदह वर्ष की बालिका, कभी भंडार-घर खुला है तो कभी भंडार-घर
भगवतीचरण वर्मा
Mar 37 min read


बलवा
महेश कुमार केशरी रोज की तरह आज भी किशून ऑटो लेकर स्टैंड़ पर पहुँचा था। दोपहर होने को हो आई थी। लेकिन, अब तक बोहनी नहीं हुई थी। रह-रहकर...
महेश कुमार केशरी
Feb 203 min read


स्वार्थी लोग
महेश कुमार केशरी सिस्टर मरियम बच्चों को पढ़ा रही थीं -"बच्चों हमारे अलग-अलग धर्मों में जितने भी लार्ड हुए हैं। उन सबमें एक समानता रही...
महेश कुमार केशरी
Feb 132 min read


सम्यक दृष्टि
शैलेन्द्र सिंह एक राजा था, बहुत प्रभावशाली, बुद्धि और वैभव से संपन्न। आस-पास के राजा भी समय-समय पर उससे परामर्श लिया करते थे। एक दिन...
शैलेन्द्र सिंह
Feb 133 min read


भूली हुइ यादें...
रूपम दास जब हम स्कूल में पढ़ते थे। उस स्कूली दौर में निब पैन का चलन जोरों पर था। तब कैमलिन की स्याही प्रायः हर घर में मिल ही जाती थी,...
रूपम दास
Feb 62 min read


गलत सोच
गंगाधर द्विवेदी पति अपनी पत्नी पर गुस्से में चिल्ला रहा था, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी मां को पलट कर जवाब देने की? मैं ये कभी...
गंगाधर द्विवेदी
Feb 62 min read


बुढ़ापे की लाठी
जगजीवन तिवारी रामलाल जी 75 वर्ष की आयु के हो चुके थे। अब तक उनका शरीर काम कर रहा था तो वह छुटपुट बाहर के काम कर लिया करते थे पर अब उनका शरीर बिल्कुल ही चलना बंद हो गया था अतः वह घर पर ही रहा करते थे। रामलाल जी के कमरे से लगातार खांसने की आवाज़ आ रही थी। बाहर से बेटे व बहू दोनों आपस में धीरे-धीरे बातचीत कर रहे थे। बहू (अलका) - क्या करें पिताजी तो दिन भर खांसते ही रहते हैं। सारा काम करके बैठती हूं, उसके बाद उनकी सेवा में लगे रहो। तुम कोई वृद्ध आश्रम क्यों नहीं छोड़ आते। मेरी
जगजीवन तिवारी
Jan 263 min read


दीपक की माँ
अरविंद द्विवेदी मीटिंग के बीच में जब टेबल पर पड़ा फोन वाइब्रेट हुआ तो पुरे हाल को पता चल गया कि किसी का फोन आया है। बड़े पोस्ट पर विद्यमान...
अरविंद द्विवेदी
Jan 185 min read


स्वयंवर
रमाकांत द्विवेदी एक राजा की बेटी की शादी होनी थी। बेटी की ये शर्त थी कि जो भी 20 तक की गिनती सुनाएगा उसको राजकुमारी अपना पति चुनेगी।...
रमाकांत द्विवेदी
Jan 132 min read


बदलाव
महेश कुमार केशरी "मयंक आ रहा है। उससे पूछो उसके लिए क्या बनाऊँ। फिश करी, हिल्सा मछली, या चिकन करी, या मटन बोलो दीदी। उसको क्या पसंद है?...
महेश कुमार केशरी
Jan 106 min read


शेरशाह का न्याय
वृंदावनलाल वर्मा वह नहा रही थी। ऋतु न गरमी की, न सर्दी की। इसलिए अपने आँगन में निश्चिंतता के साथ नहा रही थी। छोटे से घर की छोटी सी पौर के किवाड़ भीतर से बंद कर लिए थे। घर की दीवारें ऊँची नहीं थीं। घर में कोई था नहीं, इसलिए वह मौज के साथ नहा रही थी। सुंदरी थी, युवती, गोरी नारी। पानी के साथ हँसते-मुसकराते आमोदमग्न थी। पठान बादशाह शेरशाह सूरी का शाहजादा इस्लामशाह झूमते हुए हाथी पर सवार, उसी घर के सामनेवाली सड़क से चला आ रहा था – कारचोबी, जरतार की अंबरी, सुनहला रुपहला हौदा, गह
वृंदावनलाल वर्मा
Jan 108 min read


यमराज का बेटा
प्रभा कांत द्विवेदी यमलोक में आज यमराज कुछ उक्ताए हुए से टहल रहे थे। वैसे तो यमलोक स्वर्गलोक का ही एक हिस्सा था, मगर स्वर्ग से बिलकुल...
प्रभा कांत द्विवेदी
Jan 711 min read


विवाह की बैठक
राजीव लोचन विवाह की चर्चा चल रही थी। दोनों परिवारों ने लड़का और लड़की को आपस में बात करने का मौका दिया ताकि वे एक-दूसरे को समझ सकें।...
राजीव लोचन
Jan 62 min read


अधूरा सर्वे
रमेश चन्द्र वर्मा दरवाजे पर टिंग-टॉन्ग की आवाज गूंजती है। "बहू, देखना कौन है?" सोफे पर लेटकर...
रमेश चन्द्र वर्मा
Jan 52 min read

