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संस्कार
लक्ष्मीकांत त्रिपाठी बहू कहां मर गई? अंदर से आवाज - जिंदा हूं माँ जी। तो फिर मेरी चाय क्यूं अभी तक नहीं आई, कब से पूजा करके बैठी हूं।...
लक्ष्मीकांत त्रिपाठी
Jun 65 min read


नालायक
रमाशंकर कुशवाहा दीनानाथ जी कपड़े के व्यापारी थे। इनके तीन लड़के विशाल, रवि और सूरज थे। दीनानाथ जी चाहते थे कि इनके तीनों बच्चे अपने पैरों...
रमाशंकर कुशवाहा
Jun 43 min read


एक थी काव्या
रजनीकांत यह कहानी है काव्या की, जो एक छोटे से शहर, लखनऊ, में पली-बढ़ी थी। उसकी शादी उसकी मर्जी के बिना एक साधारण से इंसान, रोहित, से कर...
रजनीकांत
Jun 43 min read


सोच बदलो
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक भिखारी था। रेल सफ़र में भीख़ माँगने के दौरान एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे। उसने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
May 254 min read


मैडम या माँ
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक प्राथमिक स्कूल में अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं। वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा में...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
May 256 min read


पहली नजर का प्यार
नीरज मिश्रा हर रोज की तरह आज की सुबह भी सामान्य-सी हुई थी। परदे के पीछे से झांकती सूरज की किरणें नीरज को सोने नही दे रही थी। नीरज एक...
नीरज मिश्रा
May 25 min read


वादा
रश्मि भारद्वाज उस दिन बारिश हो रही थी। रोहन अपनी खिड़की से बाहर देख रहा था। मन ही मन सोच रहा था, "आज कॉलेज जाने का मन नहीं है।" पर माँ...
रश्मि भारद्वाज
May 22 min read


संयम का महत्व
अंजलि सक्सेना कहने को तो संयम बहुत ही छोटा सा शब्द है पर समझने को बहुत ही बड़ा है आज मैं आपको एक छोटी की घटना का उल्लेख कर रहा हूँ जो समझ...
अंजलि सक्सेना
Apr 201 min read


सच्चा आशिर्वाद
चन्द्र शेखर मोहन ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली थी और उसे एक सरकारी स्कूल में नौकरी भी मिल चुकी थी। बीते कुछ ही दिनों पहले एक बेहद सम्पन्न...
चन्द्र शेखर
Apr 103 min read


आदर्श सलाह
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था। एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल...
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव
Apr 102 min read


डर के आगे जीत
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया। तभी उसने देखा कि एक शेर बहुत तेजी से उसकी तरफ आ रहा है। कुत्ते की सांस...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Mar 282 min read


खुशी...
मंजू सक्सेना उसके पास चालीस की उम्र होते होते सब कुछ था। अच्छी सरकारी नौकरी, सुंदर और सुलक्षणा पत्नी, दो प्यारे बच्चे, अपना मकान पर फिर...
मंजू सक्सेना
Mar 282 min read


सच्चे रिश्ते
कर्माकर गुप्ता पूनम की डोली जब ससुराल पहुँची, तो उसके मन में अनगिनत सपने और खुशियाँ थीं। उसका पति, आदित्य, एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम...
कर्माकर गुप्ता
Mar 173 min read


मूंछ का बाल
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव बहुत समय पहले की बात है, एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था। वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी...
डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
Mar 172 min read


परिंदे
निर्मल वर्मा अँधियारे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गई। दीवार का सहारा लेकर उसने लैंप की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बेडौल फटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नंबर कमरे से लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाज़ा खटखटाया। शोर अचानक बंद हो गया। ‘कौन है?’ लतिका चुपचाप खड़ी रही। कमरे में कुछ देर तक घुसुर-पुसुर होती रही, फिर दरवाज़े की चटखनी के खुलने का स्वर आया। लतिका कमरे की देहरी से कुछ आगे बढ़ी, लैंप की झपकती लौ में लड़कियों के चेहरे
निर्मल वर्मा
Mar 1443 min read


सच्ची खुशी
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव जवानी के समय में शारीरिक चाहतें आसमान छू कर बोलने लगती हैं, और पहले 20 साल तेजी से समाप्त हो जाते हैं। इसके...
डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव
Mar 144 min read


मेरा दुश्मन
कृष्ण बलदेव वैद वह इस समय दूसरे कमरे में बेहोश पड़ा है। आज मैंने उसकी शराब में कोई चीज़ मिला दी थी कि ख़ाली शराब वह शरबत की तरह गट-गट पी जाता है और उस पर कोई ख़ास असर नहीं होता। आँखों में लाल ढोरे-से झूलने लगते हैं, माथे की शिकनें पसीने में भीगकर दमक उठती हैं, होंठों का ज़हर और उजागर हो जाता है, और बस—होश-ओ-हवास बदस्तूर क़ायम रहते हैं। हैरान हूँ कि यह तरकीब मुझे पहले कभी क्यों नहीं सूझी। शायद सूझी भी हो, और मैंने कुछ सोचकर इसे दबा दिया हो। मैं हमेशा कुछ-न-कुछ सोचकर कई बातों
कृष्ण बलदेव वैद
Mar 315 min read


प्रायश्चित
भगवतीचरण वर्मा अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर की चाभी उसकी करधनी में लटकने लगी, नौकरों पर उसका हुक्म चलने लगा, और रामू की बहू घर में सब कुछ; सासजी ने माला ली और पूजा-पाठ में मन लगाया। लेकिन ठहरी चौदह वर्ष की बालिका, कभी भंडार-घर खुला है तो कभी भंडार-घर
भगवतीचरण वर्मा
Mar 37 min read


एक कर्ज़ ऐसा भी...
ऋतिक द्विवेदी "डॉक्टर साहब, जब आप छुट्टी पर थे, तब कोई आदमी अपनी माँ को यहाँ भर्ती कराकर चला गया और आज तक वापस नहीं आया। समस्या ये है कि...
ऋतिक द्विवेदी
Feb 202 min read


बलवा
महेश कुमार केशरी रोज की तरह आज भी किशून ऑटो लेकर स्टैंड़ पर पहुँचा था। दोपहर होने को हो आई थी। लेकिन, अब तक बोहनी नहीं हुई थी। रह-रहकर...
महेश कुमार केशरी
Feb 203 min read


अनजान देवता
आशीष चौहान रमाशंकर की कार जैसे ही सोसायटी के गेट में घुसी, गार्ड ने उन्हें रोक कर कहा- “साहब, यह महिला आपके नाम और पते की चिट्ठी लेकर न जाने कब से भटक रही हैं।” रमाशंकर ने चिट्ठी लेकर देखा, नाम और पता तो उन्हीं का था, पर जब उन्होंने चिट्ठी लाने वाली की ओर देखा तो उसे पहचान नहीं पाए। चिट्ठी एक बहुत ही गरीब कमजोर महिला ले कर आई थी। उनके साथ बीमार सा एक लड़का भी था। उन्हें देख कर रमाशंकर को तरस आ गया। शायद बहुत देर से वे घर तलाश रही थी। उन्हें अपने घर लाकर कहा, “पहले तो आप बैठ
आशीष चौहान
Feb 192 min read


धर्म और प्रेम
निधि सिंह नीतू अपनी डेस्क पर काम में व्यस्त थी, तभी एक प्यून ने आकर कहा, "नीतू जी, मालिक आपको अपने केबिन में बुला रहे हैं।" नीतू ने...
निधि सिंह
Feb 193 min read


स्वार्थी लोग
महेश कुमार केशरी सिस्टर मरियम बच्चों को पढ़ा रही थीं -"बच्चों हमारे अलग-अलग धर्मों में जितने भी लार्ड हुए हैं। उन सबमें एक समानता रही...
महेश कुमार केशरी
Feb 132 min read

